delhi. गृह राज्य मंत्री किरिन रिजिजू ने कहा कि मंत्रालय ने अपराध और अपराधी निगरानी प्रणाली (सीसीटीएनएस) की शुरूआत की है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा। रिजिजू आज यहां साइबर और नेटवर्क सुरक्षा की दसवीं वार्षिक बैठक के उद्घाटन के अवसर पर उपस्थित जन समूह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारे देश में कानून का शासन है न कि कानून के द्वारा शासन है। अन्य अधिनायकवादी देशों में कोई भी क्रियान्वयन सरल है परन्तु यहां नागरिकों की जागरूकता बहुत महत्तवपूर्ण है।
रिजिजू ने कहा कि डिजिटल युग की शरूआत हो चुकी है। साइबर सुरक्षा के लिए उन्होने निजी क्षेत्र को सरकार के साथ साझीदार बनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होने आगे कहा कि डिजिटल अर्थव्यवस्था से हम अलग नहीं रह सकते। चाहे स्वास्थ्य हो, बैंकिंग हो, कराधान हो- आधुनिक जीवन का प्रत्येक पक्ष साइबर दुनिया पर आधारित है। नकद विहीन अर्थव्यवस्था एक वास्तविकता है। जैसे-जैसे हमारी निर्भरता साइबर दुनिया पर बढ़ती जाएगी साइबर खतरे और कम्प्यूटर वायरस का जोखिम बढ़ता जाएगा। साइबर आक्रमण की स्थिति में पूरी अर्थव्यवस्था को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। रिजिजू ने कहा कि हमे इस साइबर दुनिया में ही रहना है र साथ ही हमें अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और पहचान को भी संरक्षित रखना है। रिजिजू ने उद्योग जगत से भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की बात कही। अध्ययन बताते है कि अंग्रेजी भाषा पर साइबर हमले का खतरा सबसे अधिक है। अंग्रेजी के मुकाबले अन्य विदेशी भाषाओं जैसे- चीनी भाषा ने साइबर खतरों का बेहतर ढंग से सामना किया है।
राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संयोजक गुलशन राय ने अपने संबोधन में कहा कि साइबर सुरक्षा अति महत्तवपूर्ण हो गई है क्योंकि मानवता साइबर युद्ध की चुनौती का सामना कर रही है। भौगोलिक स्तर पर पारम्परिक या न्यूक्लियर युद्ध का प्रभाव क्षेत्र स्थानीय होता है परन्तु साइबर युद्ध कई राष्ट्रों को एक साथ अपनी चपेट में ले लेता है। साइबर हमारे जीवन के प्रत्येक आयाम से जुड़ गया है जैसे वाहन चालन की कार्य-कुशलता से लेकर विभिन्न प्रणालियों के उत्पादकता में वृद्धि करने तक। इस अवसर पर रिजिजू ने एसोचेम की नोलेज रिपोर्ट ‘सिक्योरिंग द नेशन्स साइबर स्पेस’ को भी जारी किया।