child-daughters- Merudhr

-पूनम खण्डेलवाल

jaipur. बालिका समुचित 6िाक्षा प्राप्त कर न केवल स्वयं का विकास करती है अपितु अगली पीढ़ी के लिए भी 6िाक्षा एवं संस्कार की वाहक बनती है। मरूधरा राजस्थान में भी बेटियाँ को पढ़ लिखकर आगे बढने के पर्याप्त अवसर दिए जा रहे है जिससे परिवार, समाज एवं दे6ा भी प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो सके। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 8 मार्च को झुंझुनूं यात्रा से मरूधरा की बेटियाँ नई ऊर्जा और भविष्य की सुनहरी उम्मीदों के साथ आगे बढ़ेंगी।

बेटियों को 6िाक्षा, स्वास्थ्य एवं आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध करवाकर उन्हें आगे बढ़ाने की सोच के साथ प्रधानमंतर््ी श्री मोदी ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की पहल की। इस योजना की शुरूआत 22 जनवरी, 2015 को देश के 100 जिलों में की गई जहां शिशु लिंगानुपात असंतुलित था। वर्तमान में यह देश के 161 जिलों में संचालित है।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज से लड़का-लड़की के भेद को समाप्त करना, जेन्डर पक्षपाती लिंग जांच को रोकना, बालिकाआें के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना तथा बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करना है। राजस्थान में इस योजना को 14 जिलों अलवर, भरतपुर, दौसा, धौलपुर, झुन्झुनू, जयपुर, करौली, सवाई माधोपुर, श्रीगंगानगर, सीकर, हनुमानगढ़, जोधपुर, जैसलमेर और टोंक जिलों में शुरू किया गया। इन जिलों में अभियान चलाकर बालिका शिक्षा एवं लिंग परीक्षण के विरुद्ध जनमानस तैयार किया जा रहा है। कार्यक्रम के तहत आमजन को यह संदेश दिया जा रहा है कि बेटे एवं बेटी में कोई फर्क नहीं है। बेटियों को भी आगे बढ़ने हेतु समान अवसर दिए जाए। इन जिलों में इस जन जागरूकता से सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे है और जन्म पर लिंगानुपात में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

राजस्थान इस योजना को प्रभावी रूप से लागू करने में देश में अग्रणी राज्य है। इसके लिए राजस्थान को राष्ट्रपति द्वारा 8 मार्च 2017 को राष्ट्रीय नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। विशेषकर झुन्झुनू जिला इस कार्यक्रम को लागू करने में अग्रणी रहा है इसके लिए भारत सरकार द्वारा झुुंझुनूं जिले को लगातार 2 वर्ष 2017 तथा 2018 में 10 श्रेष्ठ जिलों में शामिल किया गया।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत राज्य में चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमः-
अपना बच्चा- अपना विद्यालय अभियान, झुंझुनूं- श्री मोदी ने झुन्झुनू के इस अभियान की हाल ही में ‘मन की बात‘ कार्यक्रम में दिल खोलकर तारीफ की तथा देश के प्रत्येक जिले को इस तरह कार्यक्रम तथा नवाचारों को बढ़ावा देने का आह्वान किया। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के अन्र्तगत शामिल इस अभियान में ऎसी बालिकाएं जो विभिन्न सामाजिक एवं आर्थिक कारणों से स्कूल जाना छोड़ देती है, ऎसी ड्रॉप आउट बालिकाओं का फिर से स्कूल में नामांकन करवाया जाता है जिससे वे शिक्षा से लगातार जुड़कर काबिल तथा कामयाब बन सकें। इस अभियान का ही परिणाम रहा कि झुंझुनू में सैकण्डरी स्कूल में बालिका नामांकन में वर्ष 2017 में गत वर्ष की अपेक्षा 10.78 प्रतिशत की वृद्वि हुई है।

बेटी के जन्म पर पौधारोपण अभियानः- राज्य के झुन्झुनू, श्रीगंगानगर, भरतपुर और जयपुर ज़िलों में बेटी के जन्म पर पाौधारोपण अभियान चलाया गया है। अभियान में बेटी के जन्म पर परिवार द्वारा पौधे लगाये जाते हैं। पाौधारोपण अभियान बेटियों के समाज में विकास एवं वृद्धि के अवसरों को समर्पित है। इस अभियान से पुरानी रुढ़िवादी सोच दूर हो रही है बेटी के जन्म को सकारात्मक रूप से लिया जा रहा है। झुन्झुनू में अमृता उपवन तथा जयपुर में कन्या उपवन बालिकाओ के जन्म को समर्पित पौधारोपण कार्यक्रम है।

सामूहिक विवाह में आंठवा (फेरा) ः- हिन्दू विवाह पद्धति में फेरों के दौरान पति-पत्नी एक दूसरे का हमेशा साथ देने और गृहस्थ जीवन के लिए सात वचन लेते हैंं। इसी में एक और वचन जोड़ते हुए नव विवाहित जोड़े को लिंग चयन न करवाने और लिंग परीक्षण आधारित गर्भपात ना करवाने की शपथ के साथ आठवां फेरा भी दिलाया जा रहा है। सामूहिक विवाह के आयोजनों में पति-पत्नी को आंठवा फेरा दिलाया जाता है क्योंकि वे दोनों अगर जागरुक होंगे तो समाज से लिंग चयन जैसी बुराई खत्म होगी।
कलेक्टर्स क्लासः- प्रतियोगी परीक्षाओं में बालिकाओं की अधिकाधिक सफलता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से झुन्झुनू जिले में कलेक्टर क्लास नाम से बालिकाओं के लिए निःशुल्क कोंचिग क्लास लगाई जा रही है, जिसमें प्रशिक्षण के साथ कैरियर काउन्सलिंग भी की जा रही है।

सवाई माधोपुर में पद दंगल- बेटियों के प्रति समाज की सोच को बदलने के लिए स्थानीय भाषा में एक लोक गीत तैयार किया गया है जिसमें महिला सशक्तिकरण हेतु सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं का उल्लेख है। इस लोक गीत में उन बालिकाओं और महिलाओं का नाम भी लिया जाता है जिन्होंने अपने क्षेत्र में खास काम किया है। विभिन्न अवसरों पर यह लोकगीत बजाया जाता है जो कि बेटियों के प्रति सकारात्मक माहौल पैदा करता है।

ब्रांड एम्बेेसडर – राज्य के टोंक, झुन्झुनू, धौलपुर, भरतपुर और सीकर ज़िलों में ज़िला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित कर जिले में बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजनान्तर्गत ऎसी बेटियों को ब्राण्ड एम्बेसेडर बनाया गया है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में सराहनीय कार्य किया है। इन ब्राण्ड एम्बेसेडरों से अन्य बालिकाओं को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
बेटी जन्मोत्सवः- हमारे समाज में बेटे के जन्म पर उत्सव, कूआं पूजन जैसे कार्यक्रम करने की परम्परा है किन्तु सामान्यतः बेटी के जन्म पर ऎसा कोई आयोजन नहीं होता था। परन्तु अब सरकार द्वारा चलाई जा रही जागरुकता से इस सोच में बदलाव आ रहा है। राज्य के सवाई माधोपुर, धौलपुर, अलवर और जयपुर जिलों में बेटी के जन्म पर उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस उत्सव से ना केवल बेटियों के प्रति सकारात्मक माहौल बन रहा है बल्कि लोगों को लिंग जांच ना करवाने और बेटियों को आगे बढ़ाने का संदेश मिल रहा है।

मुख्यमंत्री राजश्री योजनाः- प्रधानमंत्री की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की सोच को एक कदम और आगे लेकर जाते हुए मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने 1 जून, 2016 से मुख्यमंत्री राजश्री योजना की शुरूआत की है। इस योजना में सरकार बेटियों को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है। मुख्यमंत्री राजश्री योजना में बेटियों को जन्म के समय से 12 वीं कक्षा पास करने तक 6 चरणों में 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है। मुख्यमंत्री राजश्री योजनान्तर्गत 9 लाख से ज़्यादा बालिकाओं को प्रथम किश्त के रूप में 225 करोड़ रूपये की राशि दी जा चुकी है। योजना की खास बात है कि सरकार ने इसे भामाशाह योजना से जोड़ा है जिससे मिलने वाली राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में जमा होती है। मुख्यमंत्री महोदया कि ओर से लाभार्थियों को बधाई संदेश कार्डस भी भिजवाये जाते है।

बेटियों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा चलाये जा रहे इन सभी कार्यक्रमों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं। प्रधानमंत्री के विजन का ही परिणाम है कि जिन जिलों में ये कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं वहां लोग बेटियों को बेटों के बराबर दजाऱ् देने के प्रति लोग जागरूक हुए हैं। इससे न केवल लिंगानुपात में सुधार हुआ है बल्कि बालिका शिक्षा में भी अपेक्षित वृद्वि हुई है।

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