-पीएफआई के साथ ही इसके 8 सहयोगी संगठनों पर भी 5 साल के लिए पाबंदी लगाई, पीएफआई के जयपुर ऑफिस में भी लगा ताला
जयपुर. केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) संगठन पर बैन लगा दिया है। पीएफआई के साथ ही इसके 8 सहयोगी संगठनों पर भी 5 साल के लिए पाबंदी लगाई गई है। बैन लगाने की मांग कई राज्यों ने केंद्र सरकार से की थी। बुधवार को जयपुर के ऑफिस में भी ताला लगा रहा। बीजेपी शासित ज्यादातर राज्यों की पुलिस और एजेंसियों ने पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी और बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां भी हाल ही में की थीं। राजस्थान में भी हाल ही जयपुर, कोटा, बारां में इस संगठन के ठिकानों पर छापेमारी की गई। भारत सरकार ने राजपत्र में गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। बीजेपी राजस्थान के प्रदेश प्रभारी और राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने बेंगलुरू से बयान जारी कर कहा है राजस्थान में भी जिस तरह कई जिलों में दंगा हुआ, उसी समय हम कह रहे थे कि पीएफआई का इसमें हाथ था। यहां (कर्नाटक में) पर भी जब सिद्धारमैया की सरकार थी उस वक्त भी 23 से ज्यादा लोगों की हत्या हुई थी। देश को अखंड रखने के लिए इस पर (पीएफआई) बैन जरूरी था। पीएफआई के जयपुर, कोटा, बारां में ऑफिसों और ठिकानों पर एनआईए, ईडी और पुलिस ने 22 सितम्बर को रेड मारी थी। सीआरपीएफ भी साथ में मौजूद रही। जयपुर के मोती डूंगरी रोड पर पीएफआई ऑफिस पर रेड के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय पीएफआई कार्यकर्ता विरोध में उतर आए थे। पीएफआई के झंडे लहराए गए। बाद में बैनर के साथ एनआईए की कार्रवाई का विरोध किया गया। कोटा और बारां से 2 गिरफ्तारियां भी हुई थीं। साथ ही सूत्रों के मुताबिक कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया था। 17 फरवरी 2022 को राजस्थान के कोटा के नयापुरा स्टेडियम में पीएफआई ने अपने संगठन का पॉपुलर फ्रंट डे मनाते हुए बड़ी रैली और जनसभा की थी। कोटा जिला प्रशासन की तरफ से रैली की परमिशन दिए जाने के मामले में बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रदेश की गहलोत सरकार पर वोट बैंक की राजनीति और तुष्टीकरण का आरोप लगाया था। साथ ही पीएफआई जैसे संगठनों को बैन करने की मांग उठाई थी। एनआईए ने कोटा और बारां से कई संदिग्धों को हिरासत में लिया। बारां से सादिक हुसैन नाम के शख्स को हिरासत में लिया गया। सादिक हुसैन एसडीपीआई का जिला सचिव है। उससे पूछताछ हुई, तो अजमेर के ब्यावर और सरवाड़ में बड़े नेटवर्क का पता चला। उदयपुर में कन्हैयालाल हत्याकांड में पीएफआई के शामिल होने की बात भी सामने आई। गजट नोटिफेकेशन में रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल वीमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल सहित इनके सहयोगी संगठन और संबद्ध संस्थाओं को बैन किया गया है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि इंवेस्टीगेशन में पीएफआई और इसके सहयोगी संगठन या संबद्ध संस्थाओं, फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन के बीच साफ संबंध स्थापित हुआ है। रिहैब इंडिया फाउंडेशन पीएफआई के सदस्यों के जरिए फंड जुटाता है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन, रिहैब फाउंडेशन, केरल के कुछ सदस्य पीएफआई के भी मेम्बर हैं। पीएफआई के नेता जूनियर फ्रंट, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वीमेन फ्रंट की एक्टिविटीज की मॉनिटरिंग और कॉर्डिनेशन करते हैं। पीएफआई ने समाज के अलग-अलग वर्गों जैसे-युवाओं, छात्रों, महिलाओं, इमामों, वकीलों या समाज के कमजोर वर्गों के बीच अपनी पहंच को बढ़ाने के मकसद से इन सहयोगी संगठनों या संबंधद्ध संस्थाओं या अग्रणी संगठनों की स्थापना की है। जिसका इकलौता मकसद इसकी सदस्यता, प्रभाव और फंड जुटाने की कैपेसिटी को बढ़ाना है। इन सहयोगी संगठनों और जुड़ी संस्थाओं और पीएफआई के बीच-हब और स्पोक जैसा संबंध है। जिसमें पीएफआई हब के रूप में काम करते हुए सहयोगी संगठनों या संबद्ध संस्थाओं की जनता के बीच पहुंच और फंड जुटाने की कैपिसिटी का इस्तेमाल गैर कानूनी एक्टिविटीज के लिए अपनी कैपिसिटी बढ़ाने के लिए करता है। ये सहयोगी संगठन रूट और ब्रांचेज़ की तरह भी काम करते हैं। इनके जरिए पीएफआई को फंड और पावर मिलती है।

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