जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की हठधर्मिता के कारण बाड़मेर में स्थापित होने वाली रिफाइनरी अब दिवास्वप्न होकर रह गयी है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा तैयार किये गये रिफाइनरी के माॅडल को राज्य पर अत्याधिक वित्तीय भार डालने वाला बताकर भाजपा सरकार इसकी स्थापना को तीन साल से अटकाये हुए है। अब प्रदेश में रिफाइनरी स्थापित करने की लागत 8 हजार करोड़ रूपए ज्यादा आंकी जा रही है।
गहलोत ने आज यहां बयान जारी कर कहा है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार को रिफाइनरी स्थापना का श्रेय नहीं मिले, इसी वजह से भाजपा सरकार द्वारा 3 वर्षों से इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है। उन्होंने कहा कि समाचार पत्रों में आयी खबरों के अनुसार इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड द्वारा तैयार की गयी डीएफआर के अनुसार रिफाइनरी की लागत 37 हजार करोड़ से बढ़कर 45 हजार करोड़ रूपए आंकी गयी है। इस प्रकार एचपीसीएल और राज्य सरकार के मध्य यदि सहमति होती भी है तो 8 हजार करोड़ रूपए का अतिरिक्त वित्तीय भार पड़ेगा।
गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार की रीति-नीति के कारण बाड़मेर में रिफाइनरी की स्थापना पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है। यदि रिफाइनरी के कार्य को समयबद्धता से किया जाता तो आज रिफाइनरी लगभग बनकर तैयार हो जाती और लागत में हो रही अतिरिक्त वृद्धि का भार भी नहीं पड़ता। साथ ही बाड़मेर रिफाइनरी की स्थापना से राजस्थान का कायाकल्प होता हजारों लोगों को रोजगार मिलता और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ आधार मिलता। पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि राजस्थान में देश का 25 प्रतिशत क्रूड आॅयल का उत्पादन होता है लेकिन हाल ही में दिल्ली में आयोजित पेट्रोटेक समिट में राजस्थान को लेकर एक भी एमओयू नहीं हुआ, जो चिंताजनक है।