जयपुर. बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा, केन्द्र सरकार की ऐसी जितनी भी योजनाएं हैं, जिन्हें लोगों के कल्याण के लिए धरातल पर उतारना चाहिए था। उनमें अशोक गहलोत और राजस्थान की कांग्रेस सरकार क्रेडिट लेने का काम करती है। ‘मैं कई बार कहता हूँ जब लोग पूछते हैं ऐसा कैसे महसूस हुआ। आपने फ्री वैक्सीन का फोटो देखा होगा। मैं जब अपनी डोज लगवाने गया, तो मुझे ताज्जुब हुआ कि जिस जगह पीएम नरेन्द्र मोदी की फोटो होनी चाहिए थी, वहां मुस्कुराते हुए गहलोत साहब चिपके हुए थे। जबकि उनका कोई लेना-देना नहीं। खजाना मोदी जी का, विजन मोदी जी का, माल मोदी जी का, परोसने का काम करके (गहलोत) कह रहे हैं खाए जाओ मेरा ही है। यानी अपनी भूमिका अपने आप बदल ली। सहकारी संघवाद में ऐसा नहीं होता है। देश के प्रधानमंत्री की अपनी गरिमा और सम्मान है। लेकिन ये सम्मान यहां के मुख्यमंत्री और यहां की सरकार ने गिराया है। राजनीतिक भेदभाव की पराकाष्ठा है।
पूनिया ने कहा कोविड वैक्सीन के फोटोग्राफ्स और बैनर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी फोटो लगाकर वाहवाही लूटना चाह रहे हैं। जबकि यह केन्द्र सरकार की ओर से लोगों को फ्री दी जा रही है। केन्द्र की स्कीम्स पर भी गहलोत प्रदेश में अपनी फोटो लगाकर झूठा क्रेडिट ले रहे हैं। बीजेपी प्रदेश मुख्यालय के सुंदर सिंह भण्डारी ऑडिटोरियम में प्रदेशभर से आए पंचायतीराज जनप्रतिनिधियों की वर्कशॉप में पूनिया ने यह बात कही।
– पंचायतीराज का सम्मान करना सीखें
पूनिया ने अशोक गहलोत पर राजनीतिक भेदभाव के भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा पंचायतीराज में सब जगह पर बीडीओ नहीं है। अगर कहीं है तो बिल्कुल विपरीत काम करता है। प्रताड़ित भी करता है। अपमान भी करता है। उपहास भी करता है। ऐसी सारी परिस्थितियां हमारे पंचायतीराज के जनप्रतिनिधियों के साथ होती है। दुर्भाग्य यह है कि लोकतंत्र और सहकारी संघवाद की बात अशोक गहलोत करते हैं, वो दिल्ली बाद में जाएं, पहले पंचायतीराज का सम्मान करना तो सीखें। निष्पक्ष तरीके से किसी भी योजना को लागू करने वाली सबसे बड़ी एजेंसी से भेदभाव नहीं होना चाहिए।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने कहा गहलोत उलटे केन्द्र पर भेदभाव करने के आरोप लगाते हैं। यहां अगर भेदभाव होता तो राजस्थान के 75 लाख किसानों को किसान सम्मान निधि नहीं मिलती। पीएम ग्राम सड़क योजना में 70 हजार किलोमीटर सड़कें नहीं बनतीं। 63 लाख माता-बहनों को उज्जवला के गैस कनेक्शन नहीं मिलते। राजस्थान के 15 लाख लोगों के ऐसे लोगों के सिर पर छत नहीं होती, जिनके घर नहीं थे। ये तमाम ऐसी योजनाएं हैं जिन्हें राजस्थान की सरकार के जरिए भारत सरकार ने देने की कोशिश की। उदाहरण के तौर पर डीएमएफटी(डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट) के पैसे में कितना भेदभाव होता है। मुझे अच्छी तरह से याद है,अकेले कांग्रेस के एक लीडर के क्षेत्र में 400-500 करोड़ का काम हो गया। लेकिन हमारी विधायक अनुशंषा से 10 करोड़ का भी काम नहीं हुआ। ये भेदभाव नियुक्तियों से लेकर विकास के कामों तक साफ दिखता है। पूनिया ने सभी जिला प्रमुख, उप जिला प्रमुख, प्रधान, उप प्रधान और पंजायतीराज जनप्रतिनिधियों से कहा कि क्षेत्र में आने वाली समस्याओं और परेशानियों की जानकारी पार्टी तक पहुंचाएं। ताकि आने वाले विधानसभा सत्र और चुनाव में इन मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठाया जा सके।
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