जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों के विलंबित भुगतान के बकाया प्रकरणों के निस्तारण को गति देने के उद्देश्य से उद्योग विभाग में उप निदेशक के एक पद के स्थान पर अतिरिक्त निदेशक उद्योग (सुविधा परिषद्) के एक नवीन पद सृजन को मंजूरी दी है। गहलोत के इस निर्णय से संभागीय स्तर पर ही सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों के विलंबित भुगतान के वादों की त्वरित सुनवाई हो सकेगी तथा प्रदेश के विभिन्न जिलों से इन उद्यमियों को अपने प्रकरणों की सुनवाई के लिए जयपुर आने से भी मुक्ति मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि उद्योग विभाग में संभाग स्तरीय सुविधा परिषदों में सूक्ष्म एवं लघु उद्यमियों के विलम्बित भुगतान के करीब 1850 प्रकरण लंबित हैं। एमएसएमईडी अधिनियम-2006 के तहत इन परिषदों की अध्यक्षता का अधिकार उद्योग आयुक्त के पास ही है। ऎसे में व्यवहारिक रूप से उद्योग आयुक्त के लिए इन सभी संभागीय परिषदों की अध्यक्षता करना संभव नहीं हो पाता था। उद्योग आयुक्त के अधिकार हस्तांतरित (पावर डेलीगेट) किए जाने की स्थिति में अतिक्ति निदेशक उद्योग ही इन परिषदों की अध्यक्षता के लिए एकमात्र सक्षम अधिकारी है।
इसके अतिरिक्त कोविड-19 में अर्थव्यवस्था को पुनः पटरी पर लाने एवं उद्योगों के पुनर्संचालन के संबंध में अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग की अध्यक्षता में गठित टास्क फोर्स ने प्रदेश में फिलहाल कार्यरत 4 सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषद् के स्थान पर 2 राज्य स्तरीय एवं 7 संभाग स्तरीय सूक्ष्म एवं लघु उद्यम सुविधा परिषदों के गठन की अनुशंसा की थी। मुख्यमंत्री के इस निर्णय से इन सुविधा परिषदों में उद्यमियों के प्रकरणों की त्वरित सुनवाई हो सकेगी।

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