पुरलिया। चीन अपनी चालाकी और दोगलेपन से बाज नहीं आ रहा है पिछले दो माह से डोकलामा पर भारत से दो-दो हाथ करने का नाटक करने वाला चीन आए दिन मीडिया के जरीए भारत को दमकाने की कोशिश भी कर रहा है। साथ ही हर वह काम कर रहा है जिससे वह भारत को डरा सके और चीन के सामने भारत को घूटने टेकने पर मजबूर कर सके।
मगर भारत ने चीन को कोई तवज्जो अब तक नहीं दी है। इसी से बौखलाए हुए चीन ने अब नई रणनीति पर काम करना शुरु कर दिया है। जिसके तहत वह भारत को अस्थिर करने के लिए नक्सलियों को मोहरा बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। उसकी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की इंटेलिजेंस इकाई इस ब्लू प्रिंट पर काम कर रही है। नक्सली संगठन के उच्च पदस्थ भरोसेमंद सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीनी सेना से जुड़े अधिकारी अरुणाचल प्रदेश से सटी सीमा पर सक्रिय प्रतिबंधित अलगाववादी नगा उग्रवादी संगठन एनएससीएन (खापलांग) से सीधा संपर्क बनाए हुए हैं और इस संगठन को हर तरह से मदद दे रहे हैं।
इस उग्रवादी संगठन में अभी चार हजार से ज्यादा गुरिल्ला सदस्य हैं जिनमें कई को चीनी सेना के अधिकारियों ने प्रशिक्षित किया है। नगा उग्रवादी संगठन चीन की साजिश को आगे बढ़ाते हुए बंगाल, झारखंड, ओडिशा व छत्तीसगढ़ समेत देश के अन्य राज्यों में सक्रिय नक्सलियों को आर्थिक व हथियारों से ताकतवर बनाने में जुटा है।
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक नगा संगठन को चीनी सेना की इंटेलिजेंस इकाई से तस्करी के जरिए सामरिक व आर्थिक मदद दी जा रही है। इन संगठनों का जुड़ाव चीनी मिलिट्री इंटेलिजेंस इकाई से देश में जिन प्रमुख उग्रवादी-अलगाववादी संगठनों के जुड़ाव की बात सामने आई हैं उनमें एनएससीएन (खापलांग), कांगलेईपाक कम्युनिस्ट पार्टी , पीपुल्स रिव्यूलिशनरी पार्टी आॅफ कांगलेईपाक, भाकपा (माओवादी), कांगलेई ईयाउल कानवा लूप, पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आॅफ असम (परेश बरआ), पीपुल्स लिबरेशन आर्मी, यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट , नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट आॅफ असम, मणिपुर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आदि शामिल हैं।