CIC told legislative parties: 100 percent utilization of MPLAD funds should be ensured

नयी दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने राजनीतिक दलों से यह सुनिश्चित करने की ‘‘जोरदार सिफारिश’’ की है कि उनके सांसद एमपीएलएडी फंडों का ‘‘100 प्रतिशत उचित इस्तेमाल’’ करें और इस संबंध में आमजन के आरटीआई सवालों के जवाब देने के लिए स्वेच्छा से अधिकारी नियुक्त किए जाएं। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने यह भी कहा कि संसद में मौजूद सभी राजनीतिक दलों को चुनावी एवं गैर चुनावी समय में अपने खर्चो, दान एवं दानदाताओं के नाम समेत अपनी आय के स्रोतों के संबंध में वित्तीय पारदर्शिता लानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इन दलों को अपनी अधिकारिक वेबसाइटों पर नियमित अंतरालों पर स्वत: जानकारी मुहैया करानी चाहिए। उनके विधायी दलों को स्वेच्छा से एक लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी की नियुक्ति करनी चाहिए जो सांसद निधि के तहत किये गए कार्यों, निधि के उपयोग एवं अनुपयोग तथा कार्यों की सिफारिश के मापदंड के बारे में जितना जल्दी हो सके प्रश्नों के उत्तर दें।’’ आयोग ने 2013 में छह राजनीतिक दलों – भाजपा, कांग्रेस, माकपा, भाकपा, बसपा और राकांपा – को ऐसा लोक प्राधिकरण घोषित किया था जो सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जवाबदेह हैं।

सांसद के प्रत्येक सदस्य को सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपीएलएडी) फंड के तहत हर साल पांच करोड़ रूपये मिलते हैं। सांसद के पास अपने इलाके में संबंधित जिला प्राधिकरण के किसी भी कार्य को आर्थिक मदद मुहैया कराने का विवेकाधिकार होता है। बिहार में मधुबनी के खतौना प्रखंड में सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के तहत किए गए काम काज की स्थिति और उनमें की गई प्रगति के बारे में जानकारी लेने के लिए एक आरटीआई प्रार्थी ने याचिका दायर की थी, जिस पर सीआईसी ने यह सिफारिश की है। आचार्युलु ने कहा कि रिकॉर्डों, फाइलों, वेबसाइट और जवाबों से आयोग ने पाया कि सांसद निधि योजना के तहत उन्हें मुहैया कराए गए फंडों का पूरी तरह इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।

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