नयी दिल्ली : तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता की जैविक बेटी होने का दावा करते हुए एक महिला ने आज मद्रास उच्च न्यायालय का रुख करते हुए अपील की जयललिता के पार्थिव शरीर का वैष्णव ब्राह्मण समुदाय के रीति रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया जाए। न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन ने महिला की याचिका की विचारणीयता पर निर्णय लेने के लिए सुनवाई के वास्ते कल की तारीख तय की। महिला की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील वी प्रकाश ने जयललिता से रिश्ते का पता लगाने के लिए डीएनए परीक्षण के अनुरोध को शामिल करने के वास्ते याचिका में संशोधन का समय मांगा।
महिला इसी अनुरोध के साथ पिछले महीने उच्चतम न्यायालय पहुंची थी लेकिन न्यायालय ने इस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। महिला ने दावा किया कि उसे जयललिता की बहन और उनके पति को गोद दे दिया गया था। हालांकि न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा था कि वह उच्च न्यायालय जाने के लिए स्वतंत्र है।
जब यह मामला सुनवाई के लिए आया तो न्यायमूर्ति वैद्यनाथन ने कहा कि कई लोगों ने दावा किया कि वे जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारी हैं। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि इस मामले पर अंतिम फैसले के लिए डीएनए परीक्षण का आदेश दिया जा सकता है। साथ ही अदालत ने कहा कि अगर परीक्षण के बाद दावा झूठा साबित हुआ तो याचिकाकर्ता को इसके नतीजों का सामना करना पड़ेगा।