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जयपुर। सुप्रीम कोर्ट के एसटी-एससी एक्ट में दिए फैसले को राजस्थान में लागू कर दिया गया है।खास बात यह है कि इस फैसले को प्रदेश में लागू करने के बारे में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी पता नहीं है। उधर, बीस दिन पहले ही लागू हुए इस फैसले को लेकर भ्रम की स्थिति हो गई है। वहीं प्रदेश में सियासत गरमा गई है। दलित संगठनों और नेताओं ने इस पर विरोध करना शुरु कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के एसटी-एससी एक्ट में सुनाए फैसले को लेकर राजस्थान ही नहीं पूरे देश में दलित समाज में गुस्सा देखा गया। दो अप्रेल को देश में दलित संगठनों ने भारत बंद रखा था, जिसमें हुई हिंसा के दौरान एक दर्जन से अधिक लोग मारे गए।

केन्द्र सरकार ने भी इस फैसले के खिलाफ रिव्यू पीटिशन दायर कर रखी है और संसद में अध्यादेश लाकर इस फैसले को चुनौती देने की मंशा केन्द्र सरकार की है। हालांकि इस बीच राजस्थान में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू कर देने से दलित संगठनों का विरोध खड़ा हो सकता है। भाजपा और कांग्रेस के दलित नेता और दलित संगठन पहले से ही यहां आंदोलन कर रहे हैं। भाजपा में लौटे किरोडी लाल मीणा तो पीएम नरेन्द्र मोदी, सीएम वसुंधरा राजे समेत तमाम बड़े नेताओं से मिलकर एसटी-एससी एक्ट में किसी भी तरह के बदलाव का विरोध दर्ज करवा चुके है। उधर, इस आदेश की भनक मिलते ही राज्य सरकार भी बैकफुट पर आ गई है।

मुख्यमंत्री वसुंधरा राज ने मीडिया से कहा कि उन्हें बताए बिना ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने के आदेश दे दिए हैं। इस मामले में गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया और पुलिस महानिदेशक से जवाब मांगा है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में कोई फैसला नहीं लिया। पुलिस विभाग के एक आला अफसर ने आदेश जारी कर दिया है, जिससे भ्रम की स्थिति है। राज्य सरकार भी केन्द्र सरकार की तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर रिव्यू पीटिशन के पक्ष में है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को एसटी-एससी एक्ट में कई अहम फैसले दिए, जिसमें आरोपी की गिरफ्तारी, अनुसंधान, अग्रिम जमानत संबंधी दिशा-निर्देश थे। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश को दो दिन बाद ही 23 मार्च को एडीजी नागरिक अधिकार एम.एल. लाठर ने जारी कर दिया। सभी आईजी और एसपी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना के निर्देश दिए गए। दिशा-निर्देश की अवहेलना करने वालों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

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