जयपुर। गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह को कोर्ट में पेशी के दौरान फरारी में अहम रोल निभाने वाले पुलिस कमांडो शक्ति सिंह से एसओजी राजस्थान फिर से पूछताछ करेगी। आनन्दपाल की फरारी और फरारी के दौरान आनन्दपाल के आपराधिक कृत्यों, संरक्षण स्थलों समेत अन्य कई बिन्दुओं के बारे में पडताल के लिए एसओजी उसे फिर से गिरफ्तार करेगी। आनन्दपाल फरारी मामले में शक्ति सिंह न्यायिक अभिरक्षा में है। पूछताछ के संबंध में एसओजी ने कोर्ट में प्रार्थना-पत्र लगाया था, जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। आनन्दपाल फरारी मामले में शक्ति सिंह मुख्य अभियुक्त है, जिसने डीडवाना में पेशी के दौरान उसे व दूसरे अपराधियों को भगाने में अहम रोल निभाया। साथी पुलिसकर्मियों को नशीली मिठाईयां खिला दी थी और खुद भी बेहोशी का नाटक किया था। रास्ते में आनन्दपाल सिंह के हथियारबंद बदमाशों ने पुलिस वैन को रोका और फायरिंग करके आनन्दपाल सिंह को भगा ले गए थे। वे पुलिसकर्मियों के हथियार भी ले गए। इस मामले की पडताल की गई तो आनन्दपाल की फरारी सुनियोजित पाई गई और इसमें शक्ति सिंह व अन्य कुछ पुलिसकर्मियों की भी मिलीभगत सामने आई। उन्हें गिरफ्तार किया गया। वे सभी जेल में है।
– फरारी से बदनाम हुई तो एसओजी को सौंपा पकडऩे का जिम्मा
फरारी के बाद गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह और उसके गिरोह के सदस्यों ने कई वारदातें की। लूटपात, वसूली, डकैती जैसी घटनाओं को अंजाम दिया। पुलिस ने भी उसे पकडऩे के लिए भरसक प्रयास किए। दो बार आमने-सामने मुठभेड़ हुई, लेकिन आनन्दपाल ने एके-47 से गोलियां बरसाते हुए फरार हो गया। इसमें एक पुलिस जवान खुमाराम शहीद हो गया था। दूसरी बार भी उसने पुलिस बल पर अत्याधुनिक हथियारों से हमला किया, जिसमें पुलिसकर्मी घायल हुए। करीब दो साल की फरारी के दौरान दर्जनों वारदातें की। आनन्दपाल के पकडऩे में नहीं आने के कारण सरकार की भी खासी किरकिरी हुई तो सरकार ने उसे पकडऩे के लिए एसओजी को जिम्मा दिया और उसे पकडऩे के लिए एसीबी में तैनात आईजी दिनेश एमएन को एसओजी में लगाया। चुरु के मालासर गांव में उसके छिपे होने की सूचना पर एसओजी टीम ने 23 जून 2017 की रात को उस घर में दबिश दी। आनन्दपाल सिंह ने पुलिस बल और कमांडो पर अत्याधुनिक हथिायरों से फायरिंग की तो जवाबी फायरिंग में वह मारा गया। इस दौरान कमांडो सोहन सिंह के भी गोलियां लगी, जिसका कई दिनों तक अस्पताल में इलाज चला। अब वह स्वस्थ है। हालांकि इस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए राजपूत समाज ने कई दिनों तक प्रदेश में आंदोलन चलाया और आनन्दपाल के परिजनों ने करीब तीन सप्ताह तक उसके शव का दाह संस्कार नहीं किया। सांवराद में सभा के दौरान हिंसा में एक जने की मौत भी हुई, जिसके बाद पुलिस ने परिजनों की सहमति से सांवराद में कफ्र्यू लगाकर आनन्दपाल का दाह संस्कार किया।

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