Amethi Electioin
नई दिल्ली। केन्द्र में सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी दल जद यू ने चुनाव आयोग से हिमाचल प्रदेश के साथ ही गुजरात विधानसभा चुनाव का भी कार्यक्रम घोषित नहीं करने का कारण पूछा है। जदयू के महासचिव और पार्टी प्रवक्ता पवन वर्मा ने आज कहा कि आयोग को न सिर्फ निष्पक्ष होना चाहिये बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिये। इसलिये आयोग को गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित नहीं करने का पुख्ता जवाब देना चाहिये। वर्मा ने अपने ट्वीट संदेश में कहा ‘‘चुनाव आयोग को न सिर्फ निष्पक्ष होना चाहिये बल्कि निष्पक्ष दिखना भी चाहिये। गुजरात चुनाव की तारीखों का ऐलान क्यों नहीं किया गया। हमें इसका पुख्ता जवाब चाहिये।’’ एक अन्य ट्वीट में वर्मा ने देश में बढ़ रही भुखमरी पर चिंता जाहिर करते हुये तीव्र आर्थिक विकास के दावों पर सवाल भी खड़े किये। उन्होंने ‘विश्व भूख सूचकांक’ में भारत के तेजी से नीचे गिरे ग्राफ का जिक्र करते हुये सवाल किया कि आखिरकार तीव्र आर्थिक विकास के लिये किये जा रहे काम से किसका लाभ हो रहा है।
आयोग पर सवाल उठाने के बारे में पूछे जाने पर वर्मा ने कहा कि उनके वक्तव्य को राजनीतिक बयान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिये क्योंकि चुनाव आयोग किसी राजनीतिक दल की संपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के साथ गुजरात का चुनाव कार्यक्रम घोषित किये जाने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी वजह से उन्होंने आयोग से उसकी निष्पक्षता बरकरार रखने का अनुरोध किया है जिसके लिये हम सब आयोग का सम्मान करते हैं। इसलिये आयोग को गुजरात चुनाव कार्य्रकम घोषित नहीं करने का विश्वसनीय कारण जरूर बताना चाहिये। वर्मा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने आयोग से यह सवाल निजी हैसियत से नहीं बल्कि बतौर पार्टी प्रवक्ता पूछा है। उन्होंने कहा कि यह सवाल किसी पार्टी या गठबंधन का नहीं बल्कि प्रत्येक राजनेता की अपेक्षा होती है कि आयोग निष्पक्ष भूमिका का निर्वाह करे।
देश में भुखमरी बढ़ने के सवाल पर वर्मा ने कहा कि न्यायपूर्ण आर्थिक विकास सुनिश्चित करना जदयू के दर्शन का मुख्य स्तंभ है और इस बात से पार्टी अध्यक्ष एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इत्तेफाक रखते हैं। उन्होंने सवाल किया कि आखिर आर्थिक विकास की दिशा क्या है। वर्मा ने कहा कि जदयू केन्द्र में सत्तारूढ़ राजग का हिस्सा जरूर है लेकिन यह एक विशिष्ट पहचान और विचारधारा वाली पार्टी भी है। उल्लेखनीय है कि भूख सूचकांक को निराधार और सच से दूर बताते हुये इसे खारिज कर दिया है।

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