– पीएम नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया
नई दिल्ली. पीएम नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इस मौके पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद रहे। कार्यक्रम में पीएम ने देश की लीगल फ्रैटरनिटी की तारीफ की। इस मौके पर पीएम ने कानूनी कार्रवाई को लोगों के लिए आसान बनाने के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि आम लोगों को भी कानून अपना लगना चाहिए, देश की पंचायतों में इसका उदाहरण मिलता है। उन्होंने कहा कि सरकार भारत में नए कानून बहुत ज्यादा सरल बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। बार काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से आयोजित इस सम्मेलन का विषय ‘न्याय वितरण प्रणाली में उभरती चुनौतियां’ है। ये सम्मेलन 23 और 24 सितंबर को आयोजित किया जा रहा है। इस कॉन्फ्रेंस में लॉर्ड चांसलर ऑफ इंग्लैंड और बार एसोशिएशन ऑफ इंग्लैंड के डेलीगेट्स भी शामिल हुए हैं।पीएम ने कहा कि दुनियाभर की लीगल फ्रैटरनिटी के दिग्गज लोगों से मिलना मेरे लिए सुखद अनुभव है। इस कॉन्फ्रेंस के लिए यूके, कॉमनवेल्थ और अफ्रीकी देशों के डेलिगेट्स भी हिस्सा ले रहे हैं। एक तरह से इंटरनेशनल लॉयर कॉन्फ्रेंस वसुधैव कुटुम्बकम की भारत की भावना का प्रतिबिंब बन गई है। देश निर्माण में लीगल फ्रैटरनिटी की बड़ी भूमिका: पीएम बोले किसी भी देश के निर्माण में वहां की लीगल फ्रैटरनिटी की बहुत बड़ी भूमिका होती है। भारत में वर्षों से ज्यूडिशियरी और बार देश की न्याय व्यवस्था के संरक्षक रहे हैं। कुछ ही साल पहले भारत ने अपनी आजादी के 75 साल पूरे किए हैं। आजादी की लड़ाई में लीगल प्रोफेशनल्स की बहुत बड़ी भूमिका रही है। कई वकीलों ने चलती हुई वकालत छोड़कर राष्ट्रीय आंदोलन का रास्ता चुना था। हमारे पूज्य राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी डॉ. बाबा साहब अंबेडकर, देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल, आजादी के समय देश को दिशा देने वाले लोकमान्य तिलक हों या वीर सावरकर हों, ऐसे अनेक महान व्यक्तित्व भी वकील ही थे। बीते दिनों में भारत कई ऐतिहासिक निर्णयों का साक्षी बना: पीएम ने कहा कि आज ये कॉन्फ्रेंस ऐसे समय में हो रही है, जब भारत कई ऐतिहासिक निर्णयों का साक्षी बना है। एक दिन पहले ही भारत की संसद ने लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 33% आरक्षण देने का कानून पास किया है। नारी शक्ति वंदन कानून भारत में महिलाओं के नेतृत्व में विकास को नई दिशा और नई ऊर्जा देगा। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए भारत को एक मजबूत और निष्पक्ष स्वतंत्र न्याय व्यवस्था का आधार चाहिए। मुझे विश्वास है इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस इस दिशा में भारत के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा।
पीएम बोले कि 21वीं सदी में आज हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जो गहराई से कनेक्टेड हैं। हर लीगल माइंड या इंस्टीटयूशन अपने ज्यूरिस्डिक्शन को लेकर बहुत सचेत है। लेकिन ऐसी कई ताकतें हैं, जिनके खिलाफ हम लड़ रहे हैं। ये ताकतें बॉर्डर्स या ज्यूरिस्डिक्शन की परवाह नहीं करती हैं। और जब खतरे ग्लोबल हैं, तो उनसे निपटने का तरीका भी ग्लोबल होना चाहिए। पीएम ने कहा कि साइबर टेररिज्म हो, मनी लॉन्ड्रिंग हो, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस हो, तो इनके दुरुपयोग की भरपूर संभावनाएं हों। ऐसे अनेक मुद्दों पर सहयोग के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना सिर्फ किसी शासन या सरकार से जुड़ा मामला नहीं है। इसके लिए अलग-अलग देशों के लीगल फ्रेमवर्क को भी एक-दूसरे से जुड़ना होगा। जैसे हम एयर ट्रैफिक कंट्रोल के लिए मिलकर काम करते हैं। कोई ये नहीं कहता कि तुम्हारा कानून तुम्हारे यहां, हमारा कानून हमारे यहां, फिर तो किसी का जहाज उतरेगा ही नहीं। हर कोई कॉमन रूल्स और रेगुलेशन का पालन करता है। उसी तरह हमें अलग-अलग डोमेन में ग्लोबल फ्रेमवर्क तैयार करना ही पड़ेगा। इंटरनेशनल लॉयर्स कॉन्फ्रेंस में इस दिशा में मंथन करना चाहिए। दुनिया को नई दिशा देनी चाहिए। पंचायतों के जरिए विवादों का निपटारा भारत के संस्कार में है: पीएम ने कहा कि एक अहम विषय आल्टरनेट डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन का है। यानी अदालतों के बाहर विवादों का निपटारा करना। दुनियाभर में इसका चलन तेजी से बढ़ा है। भारत में सदियों से पंचायत के जरिए विवादों के निपटारे की व्यवस्था रही है। लोक अदालत की व्यवस्था भी विवादों को हल करने की दिशा में बड़ा माध्यम है। जब मैं गुजरात में था, तो ऐवरेज एक मामला निपटाने में न्याय होने तक सिर्फ 35 पैसे का खर्च होता था। यानी ये व्यवस्था हमारे देश में होती थी। पिछले 6 साल में 7 लाख केसेस को लोक अदालतों में सुलझाया गया है। इस इनफॉर्मल व्यवस्था को एक व्यवस्थित रूप देने के लिए भी भारत सरकार ने मीडिएशन एक्ट बनाया है।
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