हैदराबाद. कांग्रेस नेता रेवंत रेड्डी तेलंगाना के मुख्यमंत्री होंगे। राहुल गांधी ने उनके नाम पर मुहर लगा दी है। राहुल ने कहा कि रेवंत रेड्डी को तेलंगाना में सीएम पद के लिए चुना गया है। मंगलवार को दिल्ली में हुई पार्टी की बैठक में यह फैसला लिया गया, जिसमें राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल सहित कई सीनियर नेता मौजूद थे। हालांकि रेवंत रेड्डी के नाम की आधिकारिक घोषणा हैदराबाद में कांग्रेस विधायक दल की बैठक के बाद होगी। रेवंत 7 दिसंबर को सुबह 11 बजे सीएम पद की शपथ लेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तेलंगाना में पार्टी की जीते के बाद से सीएम पद के लिए रेवंत रेड्डी का नाम लगभग तय था। 6 दिसंबर की शाम उनका शपथ ग्रहण समारोह भी होना था, लेकिन पार्टी में विरोध के चलते इसे रद्द करना पड़ा। सीएम के रूप में रेवंत रेड्डी के शपथ ग्रहण का विरोध करने वालों में पूर्व तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख एन उत्तम कुमार रेड्डी, पूर्व सीएलपी नेता भट्टी विक्रमार्क, पूर्व मंत्री कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी, पूर्व डिप्टी सीएम दामोदर राजनरसिंहा शामिल हैं। इन नेताओं ने रेवंत रेड्डी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। यह पहला मौका नहीं है, जब रेवंत रेड्डी को पार्टी में विरोध का सामना करना पड़ा है। इससे पहले जब 2021 में उन्हें तेलंगाना कांग्रेस का प्रभार सौंपा गया था। तब भी उन पर पद पाने के लिए करोड़ों रुपए देने का आरोप लगा था। तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों पर 30 नवंबर को वोटिंग हुई थी, रिजल्ट रविवार को आया। इसमें कांग्रेस ने 64 सीटें जीतीं। सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति को 39 सीटें मिलीं। भाजपा को 8, एआईएमआईएम को 7 और एक सीट सीपीआई के खाते में गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने 3 दिसंबर की रात राज्यपाल से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा पेश किया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद रेवंत रेड्डी को तेलंगाना का डीके शिवकुमार कहा जाता है। उन्होंने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के खिलाफ कामारेड्डी और कोडंगल सीट से चुनाव लड़ा था। कामारेड्डी सीट से उन्हें भाजपा नेता के वेंकट रमन्ना रेड्डी ने हरा दिया। वहीं, कोडंगल सीट से उन्होंने जीत दर्ज की। महबूबनगर जिले के कोंडारेड्डी पल्ली में जन्मे 54 साल के रेवंत का पूरा नाम अनुमुला रेवंत रेड्डी है। उस्मानिया यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट रेवंत ने राजनीतिक करियर की शुरुआत भाजपा की स्टूडेंट विंग एबीवीपी से की थी। 2007 में वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर आंध्र प्रदेश विधान परिषद के सदस्य भी चुने गए। बाद में आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू के न्योते पर वे तेलुगु देशम पार्टी में शामिल हो गए। 2009 में उन्होंने टीडीपी के टिकट पर आंध्र प्रदेश के कोंडगल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के पांच बार के विधायक गुरुनाथ रेड्डी को हराया। नायडू ने उन्हें विधानसभा में पार्टी का नेता भी बना दिया।
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