नयी दिल्ली। कांग्रेस ने महिला आरक्षण विधेयक को लोकसभा में पारित करवाने के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के पत्र का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कोई जवाब नहीं दिये जाने पर आज सवाल उठाते हुए कहा कि यदि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में यह विधेयक पारित नहीं हो पाया तो इसे 2019 के आम चुनावों में लागू नहीं करवाया जा सकेगा। महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुष्मिता देव ने आज संवाददाताओं को बताया कि संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल कल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला था। उन्हें महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाये जाने के समर्थन में 32 लाख लोगों के हस्ताक्षरों वाला एक ज्ञापन सौंपा गया। राष्ट्रपति ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह इस उद्देश्य से सहमत है और उसे पूरा करने में अपने स्तर पर पूरा प्रयास करेंगे।
सुष्मिता देव ने कहा कि महिला कांग्रेस 31 अक्तूबर को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर हर जिला मुख्यालय में प्रधानमंत्री के नाम एक ज्ञापन जिला कलेक्टर को सौंपेगी। इस ज्ञापन में प्रधानमंत्री से महिला आरक्षण विधेयक को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित करवाये जाने की मांग की जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गत 21 सितंबर को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि वह अपनी पार्टी का लोकसभा में बहुमत का फायदा उठाते हुए इस विधेयक को संसद के निचले सदन में पारित करवाये। उन्होंने आश्वासन दिया कि कांग्रेस पार्टी इस विधेयक को पारित करवाने में पूरा समर्थन देगी।
सुष्मिता ने कहा कि भाजपा ने 2014 के आम चुनाव के लिए अपने चुनावी घोषणापत्र में महिला आरक्षण विधेयक पारित करवाये जाने का वादा किया था। सरकार के कार्यकाल के साढ़े तीन साल पूरे हो चुके हैं किंतु अभी तक इस दिशा में कुछ भी नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि प्रधानमंत्री आरएसएस के महिला विरोधी और महिला सशक्तिकरण विरोधी आदर्शों पर चलना चाह रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि यदि लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभा में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण के प्रावधान संबंधी विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पारित नहीं होता है तो इसे 2019 के आम चुनाव में लागू नहीं करवाया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि महिला आरक्षण के लिए विधेयक का संसद से पारित होना एक चरण है। इसके बाद इसे लागू करने के लिए तमाम काम पूरे करने होंगे।