गुवाहाटी। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत 28 प्रतिशत की सबसे ऊंची कर दर को कम करने की कांग्रेस शासित राज्यों की मांग में दिल्ली सरकार भी शामिल हो गई है। दिल्ली का कहना है कि ऊंची कर दर से कालाबाजारी को बढ़ावा मिलता है। कांग्रेस शासित राज्यों ने जीएसटी की दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए मौजूदा 28 प्रतिशत दर को कम करने की सरकार से मांग की है। जीएसटी परिषद की बैठक में यहां शामिल होने आए दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि एक जुलाई से ही कर की दरों को कम रखा जाना चाहिये था। उन्होंने कहा, सरकार को खुद से एक जुलाई से कर दरों को कम रखना चाहिए था। मैंने कहा है कि कर की दर 28 प्रतिशत रखने का मतलब कालाबाजारी को बढ़ावा देना है।ह्व रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया पर सिसोदिया ने कहा कि हर महीने तीन अलग-अलग फार्म दाखिल करने के बजाए दिल्ली सरकार तिमाही आधार पर रिटर्न दाखिल करने के पक्ष में थी। वर्तमान रिटर्न प्रक्रिया ने कारोबारियों के बीच दुविधा पैदा की है।
सिसोदिया ने कहा कि एक देश, एक कर नीति के तहत पेट्रोलियम उत्पादों, एल्कोहल और रीयल एस्टेट क्षेत्रों को भी जीएसटी के दायरे में लाया जाना चाहिए। कांग्रेस शासित राज्य पंजाब, कर्नाटक तथा केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी ने जीएसटी की कर दरों की संरचना में आमूल चूल परिवर्तन और जीएसटी की प्रक्रिया को सरल बनाने की मांग की। पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने कहा कि एक या दो गैर-जरुरी उत्पादों को छोड़कर उत्पादों के मामले में सबसे ऊंची दर 18 प्रतिशत होनी चाहिए। लेकिन जीएसटी व्यवस्था में अधिकतर वस्तुओं को 28 प्रतिशत कर दायरे में रखा गया है, इससे कांग्रेस सहमत नहीं है। इसके साथ ही जीएसटी में कर रिटर्न भरने की प्रक्रिया भी बोझिल है। उन्होंने कहा कि आम उपभोग की कई वस्तुओं पर 28 प्रतिशत कर लगाया है। इससे आम आदमी पर प्रभाव पड़ा है। कर प्रक्रिया को सरल बनाने और आम आदमी को सामान खरीदने में सुविधा का ध्यान रखते हुए जीएसटी लाया गया था लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।