नयी दिल्ली. कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव और साल 2019 में होने वाले आम चुनाव से पहले कांग्रेस ने सत्तारूढ़ भाजपा से मुकाबला करने के लिए अपनी तैयारी के तहत कृषि, रोजगार और गरीबी से जुड़े मुद्दों को उठाने का निर्णय लिया है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में 16 से लेकर 18 मार्च तक होने वाले कांग्रेस के पूर्ण अधिवेशन के लिए कृषि, रोजगार और गरीबी उन्मूलन संबंधी मुद्दों को लेकर एक अलग से प्रस्ताव पारित किया जाएगा।
2010 में हुए अंतिम पूर्ण अधिवेशन के दौरान कृषि और रोजगार के मुद्दे आर्थिक प्रस्ताव का हिस्सा थे।
कांग्रेस ने हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेन्दर सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में कृषि, रोजगार और गरीबी उन्मूलन को लेकर एक नौ सदस्यीय उप-समूह भी बनाया है। पार्टी नेता मीनाक्षी नटराजन उप-समूह की संयोजक हैं।
नाम जाहिर नहीं करने के आग्रह पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘‘इस समय देश में किसान संकट में हैं। गहरे कृषि संकट को देखते हुये एक अलग प्रस्ताव पारित किए जाने की जरूरत है जो इस बारे में पार्टी की भावी गतिविधियों के लिए दिशानिर्देश दे सकेगा। ’’
उन्होंने कहा कि यह पहला अवसर नहीं है जब कृषि और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर पार्टी एक अलग प्रस्ताव पारित करेगी। कांग्रेस ने साल 2001 में भी ऐसा ही प्रस्ताव पारित किया था। नेता ने दावा किया, ‘‘जब हम सत्ता में थे (2014 तक) तब हमने काफी उपाय किये थे। जब हमारा पिछला अधिवेशन हुआ था तब स्थिति बेहतर थी।’’ पार्टी के एक अन्य करीबी सूत्र ने बताया कि पिछले करीब तीन साल में रोजगार और गरीबी उन्मूलन के मुद्दे ‘चरम’ पर आ गए हैं।
उन्होंने बताया, ‘‘सरकार के नोटबंदी और जीएसटी के दोहरे झटके के कारण अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है। हमें इन मुद्दों को लेकर लोगों के पास जाना होगा।’’ नेता ने कहा कि पार्टी पहले ही युवा और पहली बार मतदान करने जा रहे मतदाताओं तक रोजगार सहित संबंधित मुद्दों को लेकर संपर्क कर रही है।