acb trap
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-वी. श्रीनिवास
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, एक स्वतंत्र केंद्रीय सतर्कता आयोग, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक, न्यायाधीश (जांच) अधिनियम, लोकपाल एवं लोक आयुक्त अधिनियम 2013, व्हिसल ब्लोअर्स सुरक्षा अधिनियम 2011, काला धन एवं मनीलॉड्रिंग निरोधक अधिनियम, बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम सहित एक मजबूत और समय समय पर आजमाए गए संस्थागत एवं विधायी ढांचे के नेतृत्व में लड़ी जाती है जिसमें अपराधीकरण तथा रिश्वतखोरी से संबंधित कई सारे अन्य क्षेत्र भी शामिल हैं। सभी सरकारी कर्मचारियों यानी लोक सेवकों को वार्षिक आधार पर अपनी परिसंपत्तियों की घोषणा करने की आवश्यकता होती है। निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्रत्येक चुनाव चक्र के दौरान अपनी परिसंपत्तियों की घोषणा करने की आवश्यकता होती है।

भारत के ‘अपराध के प्रति शून्य सहिष्णुता‘ के दृष्टिकोण एवं साथ ही, ‘न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन‘ के दृष्टिकोण का परिणाम हाल के वर्षों में शासन के मॉडल को सरल बनाये जाने के रूप में सामने आया है। हाल के वर्षों में सरकार द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण कदमों में शासकीय कर्मचारियों द्वारा प्रमाण पत्र जमा किए जाने के लिए प्रमाणन/प्रमाणीकरण प्रणाली को समाप्त किया जाना, निम्न स्तर के पदों पर भर्ती के लिए व्यक्तिगत साक्षात्कार की आवश्यकता को समाप्त करना तथा 50 वर्ष से अधिक उम्र के अक्षम तथा संदिग्ध आचरण वाले सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति समय से पूर्व ही सेवा से हटा देना शामिल है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने काले धन एवं भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए उच्च मूल्य वाली करेंसी को विमुद्रित कर दिया। काले धन से लड़ने के लिए एक विशेष जांच टीम का गठन किया गया। सरकार ने कोयला ब्लॉकों के लिए ऑनलाइन नीलामी का भी संचालन किया। सरकार ने यूरोप एवं कर छूट (टैक्स हेवेन्स) प्राप्त अन्य देशों में कर छूट की प्रणाली को समाप्त करने के लिए जी-20 की बैठकों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भी मांग की। स्विस अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय बैठकों में भारत ने कहा है कि काले धन एवं कर वंचना के प्रकोप से मुकाबला करना दोनों ही देशों के लिए एक ‘साझा प्राथमिकता‘ है।

झारखंड की अपनी हाल की एक यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री जी ने झारखंड में सखी मंडलों (स्वयं सहायता समूहों) को उपहारस्वरूप कुछ स्मार्ट फोन भेंट किए और उन्होंने कहा कि स्मार्ट फोन के उपयोग के बारे में ग्राम वासियों से उन्हें जो उत्तर सुनने को मिला, उसे सुन कर वे दंग रह गए। ‘सरकार को और अधिक स्मार्ट बनाने‘ पर भारत का फोकस भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्र की लड़ाई का सबसे अग्रणी हिस्सा रहा है। उसी मात्रा में सब्सिडी दिए जाने का लाभ मैनुअल प्रणाली की तुलना में एक ‘स्मार्ट शासन मॉडल‘ में अधिक प्रभावी तरीके से प्रदान किया जा सकता है।
जन धन योजना ने ओवरड्रॉफ्ट सुविधा के साथ बैंकिंग खातों तक सार्वभौमिक एवं स्पष्ट पहुंच उपलब्ध कराई। 2016 में, वित्तीय एवं अन्य सब्सिडियों, लाभों तथा सेवाओं की लक्षित प्रदायगी सुनिश्चित करने के लिए आधार अधिनियम प्रख्यापित किया गया। इस अधिनियम में आधार पहचान संख्याओं को निर्दिष्ट किए जाने के जरिये व्यक्तियों को सब्सिडियों की कारगर, पारदर्शी एवं लक्षित प्रदायगी उपलब्ध कराई गई। सरकार द्वारा उठाया गया तीसरा अहम कदम भीम (भारत इंटरफेस फॉर मनी) को लागू करना था जो भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा विकसित एक मोबाइल ऐप्लीकेशन है। भीम ऐप्लीकेशन बैंकों के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से ई-भुगतान की सुविधा प्रदान करता है और इसका उपयोग सभी मोबाइल उपकरणों पर किया जा सकता है। सामूहिक रूप से मिल कर जन धन योजना -आधार अधिनियम और भीम ऐप्लीकेशन ने एक स्मार्ट गवर्नमेंट उपलब्ध कराया है जहां सब्सिडी प्रवाह समयबद्ध एवं प्रभावी तरीके से लाभार्थी तक पहुंच जाता है।

सरकार ने केंद्रीय सतर्कता आयोग के माध्यम से निवारक सतर्कता को बढ़ावा देने का प्रयास किया है। सीवीसी द्वारा कई निवारक सर्तकता उपाय लागू किए गए हैं। गवर्नमेंट ई-मार्केट (जीईएम) जैसे उपायों ने सार्वजनिक खरीद में जवाबदेही एवं शुद्धता को बेहतर बनाने में मदद की है। आयोग ने छात्रों एवं युवाओं की शिक्षा के जरिये आचार नीति को बढ़ावा देने, सतर्कता जागरुकता सप्ताह मनाने, लोक सेवकों के अधिकार एवं उनसे अंतःसंपर्क को कम करने के जरिये प्रक्रिया को सरल बनाने, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने तथा निवारण उत्पन्न करने के लिए साबित गलत आचरण के सभी मामलेां में कठोर सजा प्रदान करने का प्रयास किया है। सीवीसी ने ई-संकल्प, जिसे नागरिकों एवं संगठनों द्वारा स्वेच्छा से लिया जाएगा, के जरिये भ्रष्टाचार के खिलाफ जन आंदोलन उत्पन्न करने का प्रयास किया है।
इसके अतिरिक्त, सरकार ने लेखा परीक्षण एवं लेखांकन प्रक्रियाओं को मजबूत बनाने का प्रयास किया है। वित्तीय शासन के क्षेत्र में लागू कुछ बड़े बदलावों में रेल बजट एवं आम बजट का एकीकरण, योजना एवं गैर योजना व्ययों का विलय, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के लिए कई क्षेत्रों को खोलना एवं वस्तु तथा सेवा कर (जीएसटी) लागू करना शामिल है। शहरी एवं ग्रामीण स्थानीय निकायों को फंड के प्रवाह की विशालता को देखते हुए नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने उनके लेखा परीक्षण की एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में पहचान की है। सीएजी ने टैक्स फाइलिंग, आकलन तथा वसूली प्रक्रियाओं के बढ़ते ऑटोमेशन से उत्पन्न डिजिटल सूचना की बड़ी मात्रा पर भी ध्यान केंद्रित किया है।
सरकार में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए गए हैं। सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम एक अधिकार आधारित कानून है जिसने राष्ट्र के प्रशासन में नागरिकों के लिए एक स्थायी हिस्सेदारी का सृजन किया है। आरटीआई अधिनियम की वजह से शासन में बेहतरी आई है। सूचनाओं को साझा करने के जरिये, नागरिक निर्णय निर्माण प्रक्रिया के हिस्से बन गए हैं जिसकी वजह से नागरिकों तथा सराकर के बीच भरोसा पैदा होता है।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम भ्रष्टाचार की रोकथाम करने के संबंधित कानून को मजबूत बनाने का एक कानून है। इस कानून में आधिकारिक कार्यों के संबंध में कानूनी पारिश्रमिक लेने के अतिरिक्त परितोषण लेने पर दंड देने का प्रावधान है। इसकी जांच से सबंधित अधिकार सीबीआई एवं राज्य पुलिस अधिकारियों को दिए गए है। सरकार ने कहा है कि लोक सेवकों के लिए जवाबदेही के मानकों को वास्तविक स्तर पर रखा जाना चाहिए जिससे कि अधिकारी गणों को ईमानदार निर्णय लेने में कोई हिचकिचाहट न हो सके।
देश में व्हिसल ब्लोअर्स को वैधानिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सरकार ने 2015 में व्हिसल ब्लोअर्स अधिनियम में संशोधन किए हैं। इन संशोधनों में राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित चिंताओं पर ध्यान दिया गया है और खुलासों, जो देश की संप्रभुता और अखंडता को पूर्वाग्रह पूर्ण तरीके से प्रभावित कर सकते हैं, के खिलाफ सुरक्षापायों को मजबूत बनाया गया है। बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 को मजबूत बनाने के लिए उसमें संशोधन किया गया जिससे कि आय कर अधिकारियों को बेनामी संपत्तियों को संलग्न करने तथा जब्त करने के लिए अधिकारसंपन्न बनाया जा सके। इसके अतिरिक्त, अगर कोई व्यक्ति सक्षम न्यायालय द्वारा बेनामी लेनेदेन के अपराध के मामले में दोषी पाया गया तो उसे सश्रम कारावास की सजा दी जाएगी तथा उस पर आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा। इस संशोधित कानून के अस्तित्व में आने के बाद से कई बेनामी संपत्तियों की पहचान की जा चुकी है।
निष्कर्ष के रूप में, ऐसा कहा जा सकता है कि भारत भ्रष्टाचार एवं काले धन के खिलाफ लगतार लड़ाई लड़ ही रहा है। स्मार्ट शासन पर ध्यान केंद्रित किए जाने के द्वारा किए जा रहे इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम दिखाई देने लगे हैं।
-वी. श्रीनिवास 1989 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और वर्तमान में राजस्थान के राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष पद के अतिरिक्त कार्यभार के साथ राजस्थान कर बोर्ड के अध्यक्ष हैं।
(लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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