-दो साल से जेडीए ने पेश नहीं किया जवाब
जयपुर। जेडीए अपीलेंट ट्रिब्यूनल में जुलाई 2०15 से लम्बित मुकदमें में बार-बार अवसर देने के बाद भी जवाब पेश नहीं करने पर न्यायाधीश नंदिनी व्यास ने जेडीए अफसरों की निष्कि्रयता या उपेक्षावृति पर कड़ी टिप्पणी करते हुए 1० हजार रुपए का हर्जाना लगाया है। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि जेडीए या सरकार का आर्थिक कोष किसी अधिकारी की व्यक्तिगत लापरवाही के लिए नहीं होकर आम जनता के हितार्थ व जेडीए के हित में है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि उक्त कॉस्ट 1० हजार रुपए सचिव जेडीए द्बारा व्यक्तिगत रूप से वहन की जाएगी। उक्त राशि 1० दिन में विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करा कर रसीद कोर्ट में पेश करें। जवाब पेश नहींे होने पर कोर्ट ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि अफसर जानबूझकर जेडीए की कोई विशिष्ट भूमिका या अभिमत रिकार्ड पर आने से बचने या प्रार्थी को अनुचित लाभ पहुंचाने के आशय से जवाब प्रस्तुत करने की मंशा नहीं रही है।
बाद में होने वाले खिलाफ आदेश का दायित्व कोर्ट पर डाल सके। कोर्ट ने जवाब के लिए अंतिम अवसर देते हुए 28 नवम्बर आगामी तारीख दी है। इस मामले में रेफरेन्स अर्जी शांतिलाल जैन ने 2०15 में पेश की थी कि उसके भूखण्ड के पर्याप्त बड़े क्ष्ोत्र पर जेडीए ने रोड बना दिया है। ना तो उसे अन्य जगह जमीन दी और ना ही मुआवजा दिया गया।