Fraud Case

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने 11 वर्ष पहले अपने वाहन से एक व्यक्ति को कुचलने के आरोपी दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के एक बस चालक को बरी कर दिया है और यात्री को इस हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया क्योंकि उसने जल्दबाजी में चलती बस से उतरने का प्रयास किया। अदालत ने लापरवाही से हुई मौत के आरोप से आरोपी को दोषमुक्त करते हुए कहा कि बस के स्टॉप पर पहुंचने से पहले उससे उतरने का प्रयास करने वाले यात्री ने जल्दबाजी में यह कदम उठाया।

अदालत ने कहा, ‘‘ जब बस दुर्घटनास्थल से केवल 50 गज दूर थी तो यह यात्री का कर्तव्य बनता था कि वह बस के स्टैंड पर पहुंचने तक इंतजार करे।’’ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कपिल कुमार ने कहा, ‘‘एक चलती बस से उतरना और बस स्टैंड पहुंचने से पूर्व ही यात्री ने जल्दबाजी में यह कदम उठाया जिसके लिए बस चालक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।’’ अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष की कहानी में विरोधाभास था क्योंकि एक तरफ तो जांच अधिकारी ने दावा किया कि घटना के 15 मिनट के भीतर मौके पर प्रत्यक्षदर्शियों का बयान दर्ज किया जबकि वहीं दूसरी ओर उन्होंने एक घंटे के बाद मौके पर पहुंचने का दावा किया। अदालत ने यह भी कहा कि गश्त पर मौजूद एक पुलिस अधिकारी और इस घटना के कथित प्रत्यक्षदर्शी की गवाही पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने घटना के तुरन्त बाद पुलिस थाने को सूचित नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष का गवाह 1 (प्रत्यक्षदर्शी) कोई साधारण व्यक्ति नहीं था बल्कि वह एक पुलिस अधिकारी है। एक पुलिस अधिकारी को बुद्धिमता का परिचय देते हुए तुरन्त पुलिस स्टेशन को सूचित करना चाहिए था न कि सूचना देने के लिए किसी अन्य व्यक्ति का इंतजार करना चाहिए था।’’ पुलिस के अनुसार एक जनवरी, 2006 को यात्री जगत नारायण ने मध्य दिल्ली में यहां शिवाजी क्रॉसिंग-मिंटो रोड़ के निकट बस के स्टैंड पर पहुंचने से पहले ही डीटीसी बस से उतरने का प्रयास किया। पुलिस ने बताया कि बस की रफ्तार धीमी होने और बस के बस स्टाप से 50 गज की दूरी पर होने पर पीछे के दरवाजे के निकट खड़े जगत ने उतरने का प्रयास किया लेकिन वह बस के पहियों के नीचे आ गया।

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