नई दिल्ली। भारत में अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुस्लिमों को म्यांमार वापस भेजने के लिए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को 16 पन्ने का हलफनामा दायर किया। इस हलफनामे में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिंग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क हैं। ऐसे में ये देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं और इन अवैध शरणार्थियों को भारत से जाना ही होगा।
हलफनामे में रोहिंग्या पर लगे ये 10 आरोप
1-अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या मुस्लिमों से देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। पाकिस्तान सहित कई दूसरे देशों में सक्रिय आतंकवादी संगठनों से इनके संबंधों का पता चला है।
2- केंद्र ने कहा कि रोहिंग्या गैरकानूनी, राष्ट्रीय विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं. इनमें से कुछ रोहिंग्या हुंडी/हवाला चैनल के जरिये धन जुटाने, अन्य रोहिंग्याओं के लिए नकली भारतीय पहचान दस्तावेजों की खरीद और मानव तस्करी शामिल हैं।
3- रोहिंग्या भारत में अन्य लोगों के भारतीय सीमा में दाखिल कराने के लिए अपने अवैध नेटवर्क का भी उपयोग कर रहे हैं। उनमें से कई ने पैन कार्ड और वोटर कार्ड जैसे जाली भारतीय पहचान दस्तावेज बनवा रखे हैं।
4- कुछ रोहिंग्या मुस्लिमों का आईएसआई/ आईएसआईएस सहित विभिन्न चरमपंथी समूहों से जुड़े होने की सूचना मिली है। इसके अलावा संवेदनशील क्षेत्रों में सांप्रदायिकता और सांप्रदायिक हिंसा को उकसाना भी शामिल रहे हैं।
5- सरकार ने कहा कि जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में कुछ रोहिंग्या आतंकी पृष्ठभूमि वाले संदिग्धों के साथ काफी सक्रिय पाए गए हैं। ऐसे में इन्हें भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिहाज से संभावित गंभीर खतरे के रूप में पहचाना गया है।
6-केंद्र सरकार ने साथ ही कहा कि भारत बड़ी आबादी वाला देश है। यहां पहले से ही अतिरिक्त श्रम बल हैं। ऐसे में मौजूदा राष्ट्रीय संसाधनों से इन अवैध प्रवासियों को सुविधाएं और विशेषाधिकार प्रदान करने से भारतीय नागरिकों के अधिकारों पर प्रत्यक्ष प्रतिकूल असर पड़ेगा।
7- केंद्र ने यह भी चिंता जताई कि अवैध शरणार्थियों की वजह से कुछ क जगहों पर आबादी का अनुपात गड़बड़ हो सकता है।
8- केंद्र ने एक आशंका यह भी जताई कि ये रोहिंग्या देश में रहने वाले बौद्ध नागरिकों के खिलाफ हिंसक कदम उठा सकते हैं।
9- केंद्र ने यह भी चिंता जताई कि अवैध शरणार्थियों की वजह से कुछ क जगहों पर आबादी का अनुपात गड़बड़ हो सकता है।
10- ऐसे में वे रोहिंग्या शरणार्थी जिनके पास संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेज नहीं हैं, उन्हें भारत से जाना ही होगा।