-विवेक वैष्णव, अधिस्वीकृत पत्रकार
महत्वकांक्षा और संग्रहण प्रारंभ से ही मानव स्वभाव है। व्यक्ति करोड़पति बनने का सपना देखता है और जब वह करोड़पति बन जाता है तो उसी क्षण से अरबपति बनने का सपना देखना प्रारंभ कर देता है। पहले व्यक्ति वस्तुओं का संग्रह करता था और समय के बदलाव के साथ अब वह मुद्रा संग्रह को अधिक प्राथमिकता देने लगा है। एक समय था जब लोगो की जीवन शैली बार्टर सिस्टम के जरिये वस्तु विनिमय पर आधारित थी। लेकिन बाद में जब मुद्रा का आविष्कार हुआ तो लोगो ने मुद्रा विनिमय शुरु कर दिया। मौजूदा दौर में अब तकनीक और उन्नत हो गई है और लोगो का रूझान आभासी मुद्रा यानि क्रिप्टो करेंसी की ओर आकर्षित होने लगा है। क्रिप्टो को मुद्रा का नया दौर कहने में कोई अतिश्योक्ति नही होगी, क्योंकि यह आभासी मुद्रा ज्यादातर लोगों की पसंद बनी हुई है। कई लोग तो क्रिप्टो करेंसी और डिजिटल करेंसी को एक ही मानते है जबकि इन दिनों में काफी बड़ा अंतर होता है।
बिट काईन, एथ्रॉम, रिप्पल, क्रिप्टो करेन्सी आदि कई ऐसी मुद्रा है जो क्रिप्टोग्राफी पर आधारित होकर एक ऑनलाईन मुद्रा है और इसमें बैंक या अन्य किसी विश्रीय संस्थान की जरूरत नही होती है। ऐसी करेन्सी में लेन देन संबंधी लागत बहुत कम आती है। यह एक ऐसी आभासी मुद्रा है जिसको ना तो देखा जा सकता है और ना ही छुआ जा सकता है। इसे केवल इलेक्ट्रानिकली स्टोर किया जा सकता है। आज की तारीख में दुनिया में लगभग साढ़े सात हजार तरह की क्रिप्टो करेंसी प्रचलन में है।
बिट काईन न सिर्फ पहली क्रिप्टो करेंसी थी, बल्कि मार्केट कैपिटलाईजेषन के हिसाब से आज सबसे बड़ी मुद्रा बनी हुई है। बिटकाईन पहली विकेन्द्रीकृत डिजिटल और लोकप्रिय मुद्रा है जिसका अर्थ है कि यह किसी केन्द्रीय बैंक द्वारा संचालित नही होती है। इसका आविष्कार 2008 में सातोषी नकामोतो नामक एक अभियंता ने किया था और 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था। हालांकि अभी तक कोई यह स्पष्ट रूप से नही कह सकता कि सातोषी नकामोतो किसी महिला का नाम है या किसी पुरुष का या फिर किसी समूह का। बिटकाईन ने बड़े रिटर्न देकर निवेशकों को आकर्शित किया है। पर्याप्त लाभ कमाने के मौके को कोई भी छोडना नही चाहता है और भारतीय बड़ी संख्या में क्रिप्टो करेंसी को खरीद रहे है। मोटे तौर पर एक अनुमान के अनुसार भारत में करीब डेढ़ करोड़ लोगों के पास क्रिप्टो करंसी है और इसकी होल्डिंग वैल्यू अरबों डॉलर में है। भारत में आज कई जगह क्रिप्टो से लेनदेन स्वीकार किया जा रहा है।
बैंकिंग प्रणाली और अन्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले लेन देन सरकार की नजरों में रहते है और इसी के बचाव में इन दिनों क्रिप्टो करेंसी लोकप्रिय हो रही है। यह करेंसी राष्ट्रीय बैंकिंग सिस्टम के प्रत्यक्ष नियंत्रण से बाहर होकर एक प्रभावी विकल्प है। यही कारण है कि इसकी सुरक्षा एवं विश्वसनीयता को लेकर समय समय पर सवाल भी उठते रहते है। दूसरे नजरिये से देखे तो इसके लेन देन को लेकर दुनिया में चिंता होने लगी है। आभासी मुद्रा को लेकर रिजर्व बैंक भी समय समय पर एडवाइजरी जारी करती रहती है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अभी तक तो किसी आभासी मुद्रा को अधिमान्य नही किया है। देश में बिटकाईन की स्थिति को तय करने के लिए वित्त मंत्रालय ने एक अनुशासनात्मक समिति का गठन भी कर दिया है। इसका एक कारण यह भी है कि क्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी है और उसे आसानी से कॉपी किया जा सकता है। इस समस्या से निपटने के लिए इसे हैक प्रुफ बनाने के प्रयासों पर भी जोर दिया जा रहा है। एक्सपट्र्स भी वर्चुअल करेंसीज में डील करते समय सावधान रहने की सलाह देते है।