-उदयपुर में किसानों ने कोको पीट (नारियल के बुरादे) का उपयोग करते हुए मृदा रहित खेती का तरीका शुरू किया
जयपुर. राजस्थान में झीलों की नगरी के नाम से विख्यात उदयपुर में किसानों ने कोको पीट (नारियल के बुरादे) का उपयोग करते हुए मृदा रहित खेती का तरीका शुरू किया है। मेवाड़ के ग्राम-महाराज की खेड़ी (तहसील-वल्लभनगर) के कृषक नंदलाल डांगी ने अपनी पत्नी और भाई के नाम राजकीय सहायता प्राप्त कर वर्ष 2013 में करीबन आठ हजार वर्गमीटर (दो एकड़) भूमि पर संरक्षित खेती के लिए तीन पॉली हाऊस में खीरा, टमाटर व शिमला मिर्च की खेती शुरू की। कुछ समय बाद ही जब टमाटर व खीरा की नई फसल भूमि सूत्र कृमि (निमेटोड़) से बुरी तरह प्रभावित हुई तो उन्हें पता चला कि कोकोपीट में खेती करने से सूत्र कृमि की समस्या नहीं आती।
डांगी ने अपने पडौसी गुजरात राज्य के एक कृषि सलाहकार की सेवाऐं लेकर मृदा के स्थान पर कोकोपीट का उपयोग किया । किसान ने कोकोपीट को 5-5 किलोग्राम की प्लास्टिक की थैलियों में भरकर कुल 13,000 थैलियों में बीजा रोपण कर एक एकड़ पॉली हाऊस क्षेत्र में खीरे की खेती आरम्भ की। डांगी के अनुसार इन पौधों का पोषण पूर्ण रूप से फर्टिगेशन विधि द्वारा बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली से किया गया और विभिन्न प्रकार के सॉल्ट की व्यवस्था की गई ताकि पौधों को सभी सौलह तत्वों से पोषित किया जा सके। प्रत्येक कोकोपीट भरी थैली में बीजों का अच्छा अंकुरण पश्चात् पौधों ने अच्छी बढ़वार की और जब बुवाई के करीब 45 दिवस पश्चात् फूल आने लगे व खीरे लगने लगे।
यह फसल पूर्ण रूप से तंदुरस्त व सूत्र कृमि प्रकोप रहित थी । डांगी ने कहा कि कोकोपीट को अपनाने से किस्मत ही बदल गयी सभी खर्चे निकाल कर प्रति माह एक लाख रूपऐ से अधिक शुद्ध मुनाफा कमाया है ।