जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डाॅ. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि प्राचीन काल में हमारा ज्ञान और संस्कृति ही नहीं अपितु विज्ञान भी बहुत समृ( रहा है। इस पर हमें गर्व होना चाहिए। टीकाकरण, रेफ्रिजरेशन, धातु सि(ान्त प्राचीन काल से प्रचलित है। उन्होंने कहा कि हमारी वैज्ञानिक परम्पराओं का इतिहास पाॅंच हजार साल से भी अधिक पुराना है। लेकिन इन गौरवशाली तथ्यों को आज हमें यह बताने नहीं दिया जा रहा है। इसलिए हर भारतीय को देश के वैज्ञानिक पक्ष का ज्ञान और अभिमान होना चाहिए। डाॅ. जोशी मालवीय संस्थानिक क्षेत्र, मालवीय नगर, स्थित पाथेय कण संस्थान में आयोजित देवर्षि नारद की प्रतिमा अनावरण एवं सभागार लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
डाॅ. जोशी ने कहा कि वर्तमान पत्रकारिता समाचार को उत्पाद के नजरिये से देखती है। इसलिए वो अपने उत्पाद को ज्यादा चमकीला और आकर्षक बनाने के लिए तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करते हैं। यही कारण है कि पत्रकारिता का लक्ष्य समाजान्मुखी होने के अपेक्षा खबरोन्मुखी हो गया है। इसीलिए समाचारों में हत्या, लूटमार, बलात्कार, गाली-गलौच की खबरें बन रही हैं। ऐसे में पाथेय कण पत्रिका को यह जिम्मेदारी उठानी चाहिए कि वह समाजोन्मुखी पत्रकारिता को प्रोत्साहित करे। उन्होंने कहा कि दवर्षि नारद विश्व के प्रथम सवांददाता थे जो परमार्थिक सूचनाएंे तीनों लोकों में पहुंचाते थे। जन कल्याण ही उनकी सूचनाओं का उद्देश्य था। यही काम पाथेय कण का होना चाहिए।
इससे पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक डा. रमेश अग्रवाल ने कहा कि आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले लगभग सभी वीर सपूतों ने समाचार पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से समाज जागरण और समाज प्रबोधन का काम किया। देश की उन्नति का एक मात्र आधार जागृत समाज है।
प्रधान सम्पादक कन्हैयालाल चतुर्वेदी ने बताया कि आज पाथेय कण प्रसार संख्या करीब डेढ़ लाख है यह राजस्थान के प्रत्येक गाॅंव में पहुंच रहा है। साथ ही बारह देशों में भी पाथेय कण ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रखी है। अब प्रदेश के प्रत्येक शहर और बस्ती में पाथेय कण पहुंचाना हमारा लक्ष्य है। रिजर्व बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक श्री डी.पी. सारड़ा ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि पाथेय कण पत्रिका वह समाचार प्रकाशित करती है जो अन्य पत्र-पत्रिकाओं में देखने को नहीं मिलते। समारोह में सांसद रामचरण बोहरा, रामकुमार वर्मा, संत भावनाथ महाराज भी उपस्थित थे। पाथेय कण संस्थान के अध्यक्ष गोविन्द प्रसाद अरोड़ा ने संस्थान की ओर से सभी का आभार प्रकट किया।