जयपुर। इन दिनों भारत और चीन के बीच तल्खीयां बढ़ती ही जा रही है और बार्डर पर खासा तनाव जारी है । भारतीय सीमा में घुसपैठ करना चीन के लिए कोई नई बात नहीं है। वह पहले भी ऐसा कर चुका है मगर अबकी बार तल्खी कुछ ज्यादा है। हो सकता है यह उनकी किसी महत्वकांक्षी योजना के लिए रणनीति का हिस्सा है।
मगर इस बार मामला ज्यादा गर्मा गया है क्योंकि केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने चीन के चेताया था कि भारत अब 1962 वाला भारत नहीं है। 2017 का भारत है चीन को भारत से इस जवाब की उम्मीद नहीं थी। जेटली के इस बयान के बाद चीनी मीडिया और वहां का सरकारी तंत्र मुखर हो गया और भारत को गीदड़ भभकियां देने का सिलसिला जारी हो गया। चीन शुरु से ही दोगला और एहसान फरामोश रहा है। 1962 में भी उन्होंने हिन्दी-चीनी भाई-भाई का नारा लगाते हुए भारतीय सीमा में कई किलोमीटर तक प्रवेश किया और युद्ध छेड़ दिया था। उस समय भारत को आजाद हुए 15 साल के करीब ही हुए थे भारत धीरे-धीरे अपने आप को एक नए और सम्पन्न राष्टÓ की ओर ले जा रहा था।
मगर फिर भी उन्हें परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह को नहीं भूलना चाहिए जिन्होंने केवल 125 जवानों के साथ चीन के 2000 सैनिकों की धज्जियां उड़ा दी थी आज भारत के पास आधुनिक हथियारों की भी कमी नहीं है। चीन एहसान फरामोशी करने में भी पीछे नहीं है जिसका जीता जागता उदाहरण है। भारत में चीनी उत्पादों का सबसे बड़ा बाजार एक तरफ तो वह भारत में व्यापार कर काफी लाभ कमा रहा है और दूसरी तरफ हमें ही आंखें दिखा रहा है। मगर अबकी बार भारत भी आर-पार के मूड में हैै जो चीन के लिए भी चिंता का विषय है क्योंकि कहावत है कि जो जितना दबता है उसे उतना ही दबाया जाता है लेकिन दबने वाला जब विरोध करता है तो चौकड़ी भूला देता है।