Ghanshyam Swarup,editor, Dainik Rashtra-Sammat, Alwar Vichar Times, no bail, rebel
  • मकान मालिक के कूटरचित हस्ताक्षर से फर्जी किरायानामा व नक्शे से स्कूल की मान्यता लेने का मामले में हुई थी बाघी की गिरफ्तारी।
  • लाखों रुपये का बकाया किराया देने और स्कूल भवन खाली करने के बाद मिली जमानत।
    जयपुर। मकान मालिक के कूटरचित हस्ताक्षर करके फर्जी किरायानामा व नक्शे तैयार करके सरकारी विभागों से स्कूल की मान्यता लेने के मामले में गिरफ्तार हुए मोहल्ला शिवपुरा केडलगंज अलवर निवासी घनश्याम स्वरुप बाघी को गत दिनों जमानत मिली गई है, साथ ही इस मामले में आरोपी उनकी पत्नी नीता जैन की भी एडीजे कोर्ट अलवर से अग्रिम जमानत मंजूर हो गई है। घनश्याम स्वरुप बाघी की जमानत राजस्थान हाईकोर्ट से हुई है। जमानत के बाद बाघी जेल से बाहर आ गए हैं। नीता जैन की अग्रिम जमानत एडीजे कोर्ट एक अलवर डॉ.सरिता स्वामी ने मंजूर की। नीता जैन व घनश्याम बाघी की जमानत इस आधार पर हुई है कि उक्त मामले में परिवादी व आरोपीगण के बीच राजीनामा हो गया है। जमानत अर्जी के साथ राजीनामा की प्रति भी पेश की गई, साथ ही शपथ पत्र भी पेश किया है, जिसमें कहा गया है कि स्कूल भवन को खाली करके परिवादी कर्नल विनोद यादव को संभलवा दिया है। किराये की बकाया राशि 5.30लाख रुपये भी जरिये डीडी दे दिए हैं। परिवादी व आरोपीगण के बीच जो मामले लंबित है, उनमें भी आपसी राजीनामा करके आगामी तारीख पेशी पर समाप्त कर लिए जाएंगे। कोर्ट ने उक्त राजीनामा, शपथ पत्र और तथ्यों को गौर करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने घनश्याम स्वरुप बाघी व एडीजे कोर्ट एक अलवर ने नीता जैन की अग्रिम जमानत अर्जी मंजूर कर ली। साथ ही हिदायत दी है कि वे इस प्रकरण में किसी व्यक्ति को डराएंगे-धमकाएंगे नहीं। अनुसंधान में सहयोग करेंगे। बिना अनुमति देश के बाहर नहीं जाएंगे।
  • nita jain bell_3.jpgपरिवादी विनोद यादव और आरोपी गण घनश्याम स्वरुप बाघी, नीता जैन के बीच भले ही राजीनामा हो गया है, लेकिन इससे उक्त आपराधिक प्रकरण में ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। उक्त मामले में आरोपी गण के विरुद्ध पुख्ता दस्तावेजी साक्ष्य हैं, जिसमें मुख्यतया: कूटरचित हस्ताक्षर से तैयार किरायानामा व नक्शा है, जिसके आधार पर घनश्याम बाघी व नीता जैन ने अपने स्कूल की मान्यता लेने के लिए शिक्षा विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग में उक्त कूटरचित दस्तावेज लगाए। एक तरह से यह राज्य सरकार से धोखाधड़ी का मामला है, जो खत्म नहीं होगा। एफएसएल जांच से साफ हो गया है कि किरायानामा व नक्शे में विनोद यादव के फर्जी साइन किए गए हैं। परिवादी ने राजीनामा तो कर लिया। क्योंकि इन्हें आरोपी घनश्याम बाघी व नीता जैन से अपना भवन खाली करवाना था और दो-तीन साल का किराया भी लेना था। उन पर लगाए झूठे मामले भी खत्म करवाने थे, सो राजीनामा कर लिया, लेकिन जब कोर्ट में बयान होंगे तो वे राजीनामा की तो बात करेंगे, लेकिन इससे मुकर नहीं सकते हैं कि घनश्याम स्वरुप बाघी व नीता जैन ने उनके कूटरचित हस्ताक्षरों से किरायानामा व नक्शे तैयार किए। विनोद यादव की रिपोर्ट पर ही पुलिस ने जांच की है। अगर वे मुकरे तो झूठा साक्ष्य/बयान देने पर विनोद यादव पर कोर्ट कार्यवाही कर सकती है। उधर, कोतवाली थाना, अलवर पुलिस उक्त मामले में एक अन्य आरोपी की गिरफ्तारी या जमानत के बाद कोर्ट में चालान पेश करेगी।
  • – यह है मामला
    अलवर निवासी परिवादी विनोद यादव ने कोतवाली थाना पुलिस में पेश रिपोर्ट में बताया कि आरोपी नीता जैन व उसके पति घनश्याम स्वरुप बाघी की के.एस.मेमोरियल शिक्षा व सेवा समिति मोहल्ला शिवपुरा केडगंज अलवर के नाम से के.एस.किडस इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के नाम से एक शिक्षण संस्थान संचालित करते हैं। नीता जैन इस संस्थान की सचिव है। इन्होंने शिक्षण संचालन के लिए मेरे तीन मंजिला भवन के भूतल हिस्से में बने 8 कमरों को किराये पर लिया। घनश्याम एस.बाघी व उनकी पत्नी नीता जैन ने मिलकर स्कूल की मान्यता व भवन सुरक्षा प्रमाण पत्र लेने के लिए मेरे हस्ताक्षरों से कूटरचित फर्जी किरायानामा व भवन का नक्शा बनाया। उक्त कूटरचित दस्तावेजों को सार्वजनिक निर्माण विभाग, शिक्षा विभाग अलवर में प्रस्तुत करके मान्यता हासिल प्राप्त कर ली। नक्शे में प्रथम तल के भवन के हिस्से को भी स्कूल में दर्शा दिया, जबकि यह हिस्सा किराये पर नहीं दिया गया था। इन कूटरचित दस्तावेजों के जरिये मान्यता हासिल करने के बारे में शिक्षा विभाग व सार्वजनिक निर्माण विभाग में भी शिकायतें दी, लेकिन विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की। रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया कि स्कूल बन्द होने के बाद रात्रि में घनश्याम एस.बाघी अपने दोस्तों के साथ मदिरापान करता था और न्यूसेंस करता था। पुलिस ने जांच के बाद घनश्याम एस.बाघी को गिरफ्तार कर लिया था। दो-तीन साल से किराया नहीं दे रहे थे। भवन मालिक पर झूठे मामले भी दर्ज करवा दिए थे। हालांकि परिवादी ने हिम्मत नहीं हारी और तमाम मुश्किलों के बाद भी आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। भवन भी खाली करवा लिया और बकाया राशि भी वसूली।

LEAVE A REPLY