जयपुर। गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि अभियोजन उसकी पैरवी करता है जिसकी कोई पैरवी नहीं करता। उन्होंने कहा कि पीड़ित व्यक्ति की पैरवी कर उसे न्याय दिलाना ही अभियोजन विभाग की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। इसलिये जिस केस की भी पैरवी करें पूरी तैयारी से करें ताकि आप उसे न्याय दिला सकें। कटारिया मंगलवार को सचिवालय स्थित अपने कक्ष में अभियोजन विभाग द्वारा आयोजित अभियोजन: दशा एवं दिशा विषयक राज्य स्तरीय कॉफ्रेंस में मुख्य अतिथि पद से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अभियोजन अधिकारियो को विश्वास दिलाया कि राज्य सरकार अभियोजन से संबंधित समस्याओं के शीघ्र निराकरण के प्रयास कर रही है। गृह मंत्री ने दोष सिद्धि के घटते प्रतिशत पर चिन्ता व्यक्त करते हुुए बताया कि 2009 में सजायाबी का जो प्रतिशत 71.19 था, उसमें प्रतिशत की कमी हमें इस विषय पर सोचने पर मजबूर कर रही है हालांकि आंकड़ों के हिसाब से हमारा स्तर सही है, पर इसे संतोषजनक नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि पुलिस और अभियोजन की मासिक समन्वय बैठकों को निरंतर बनाये रखने की आदत डालें। उन्होंने कहा कि किसी केस की मन से तैयारी की जाये तो उसका स्तर काफी ऊपर हो जाता है। उन्होंने अच्छे लोगों को सम्मानित करने की परम्परा डालने पर जोर देते हुए कहा कि इससे कमजोर पैरवी वाले व्यक्ति को भी आगे बढ़ने का हौसला मिलता है। उन्होंने निरीक्षण व्यवस्था को सुधारने पर जोर देते हुए कहा कि लगातार निरीक्षण से व्यवस्था में अपने आप सुधार आ जाता है।
कटारिया ने अभियोजन भवन निर्माण के लिये एमपी और एमएलए कोष से पैसा जुटाने पर जोर देते हुए कहा कि प्रदेश के 16 जिलों में अभियोजन भवन तैयार हो चुके हैं और जहां व्यवस्था नहीं हो पाई वहां एमपी और एमएलए कोष की मदद ली जा सकती है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2017-18 में बारां व डूंगरपुर में अभियोजन भवन निर्माण के लिये 140.35 लाख रुपये की स्वीकृत किये गये हैं। प्रमुख शासन सचिव दीपक उपे्रती ने कहा कि कोई भी अपराध सिद्ध करना अभियोजन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। इसके लिये ऐसा नहीं कि निर्दोष व्यक्ति को भी सजा दिलाई जायें। उन्होंने कहा कि गलत अनुसंधान से केस अक्सर फेल हो जाते है। इसके लिये केस की पूरी तैयारी करने का प्रयास करें ताकि निर्दोश को सजा से बचाया जा सके और दोषी को सजा मिल सके। उन्होंने उपलब्ध संसाधनों में अच्छे परिणाम देने पर भी जोर दिया। अभियोजन निदेशक देवेन्द्र दीक्षित ने विभाग की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि विभाग में नवाचार ग्रहण करते हुए वर्ष 2017 में 288 सहायक अभियोजन अधिकारियों को नियुक्त किया गया है, इससे कार्य में काफी सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कि प्रशासनिक एवं अभियोजन कार्यकुशलता में और आवश्यक सुधार लाने के लिये अतिरिक्त निदेशक अभियोजन(न्याय) का पद भरा गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार की ई-गवर्नेन्स नीतियों को सफल बनाने के उद्देश्य से विभाग में 44 पद सूचना सहायक के सृजित किये गये हैं। उन्होंने बताया कि विगत तीन वर्षों में औसियां, पीपाड़, राजसमंद, सुजानगढ़ एवं नोख में अभियोजन भवनों का निर्माण किया गया है। अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस श्री डीसी जैन ने कॉफें्रस में बताया कि अभियोजन अधिकारी को ब्रिफवैल्यू कैसे बढाई जाये, इस पर विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि अनुसंधान की गुणवता तभी रह सकती हैं, जब अनुसंधान में लॉ एण्ड आॅडर को अलग-अलग रखा जाये।