नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश दीपक मिश्रा नए चीफ जस्टिस हो गए हैं। वे भारत के 45वें मुख्य न्यायाधीश हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को दीपक मिश्रा को चीफ जस्टिस पद की शपथ दिलाई। त्वरित फैसलों के जाने वाले दीपक मिश्रा का 3 महीने का कार्यकाल होगा। वे 2 अक्टूबर, २०१८ को रिटायर होंगे।
– वकील से चीफ जस्टिस का सफर
दीपक मिश्रा ने वर्ष १९७७ में वकालत शुरु की। लम्बे समय तक उड़ीसा हाईकोर्ट में सर्विस, क्रिमिनल, रेवेन्यू, सेल्स टैक्स आदि मामलों में वकालत की। १९९६ में वे उड़ीसा हाईकोर्ट में जज नियुक्त हुए। फिर उनका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में तबादला हो गया। 23 दिसम्बर, 2009 में पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने और 24 मई, २०१० को दिल्ली हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। अक्टूबर, २०११ में उनका प्रमोशन हुआ और वे सुप्रीम कोर्ट में जज बन गए। आज वे सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बने।
– जाने जाते हैं तेज और तल्ख फैसलों के लिए
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा तेज और तल्ख फैसलों के लिए जाने जाते हैं। उनके कई फैसले नजीर के तौर पर गिने जाते हैं। दिल्ली के निर्भया गैंगरेप केस में अभियुक्तों की फांसी बरकरार रखी। वेबसाइटों पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी बैन की। केरल के सबरीमाला मंदिर को महिला श्रद्धालुओं के लिए खुलवाया। सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान को अनिवार्य करवाया। पुलिस को आदेश दिए कि चौबीस घंटे में पुलिस प्राथमिकी रिपोर्ट वेबसाइट पर डाउनलोड करें। आतंकी याकूब मेमन की फांसी को बरकरार रखा। चर्चित आदेश प्रमोशन में आरक्षण फैसले पर रोक लगाई। ऐसे कई आदेश हैं, जिनमें दीपक मिश्रा की अगुवाई में कई चर्चित फैसले दिए।