नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत की अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई थी। साथ ही अदालत ने उनकी जनहित याचिका को ‘‘राजनीतिक हित याचिका का एक स्पष्ट उदाहरण करार दिया।’’ न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आई एस मेहता की पीठ ने कहा कि स्वामी की याचिका पर जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई नहीं हो सकती। पीठ ने यह भी कहा कि अदालत के समक्ष जो भी तथ्य रखे गये उसके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि विशेष जांच दल द्वारा की जा रही जांच को किसी भी पक्ष द्वारा प्रभावित किया गया है।
अदालत ने कहा कि उसका यह भी मानना है कि स्वामी ने वह जानकारी छिपाई जिसके आधार पर उन्होंने थरूर और दिल्ली पुलिस के खिलाफ आरोप लगाए थे क्योंकि उन्होंने आज अपने उस स्रोत या कारण का खुलासा करने वाला हलफनामा देने की पेशकश की जिसके आधार पर उन्होंने आरोप लगाए थे। अदालत ने कहा, ‘‘सुब्रह्मण्यम स्वामी से जब यह स्पष्ट रूप से पूछा गया कि उन्होंने याचिका में किस आधार पर आरोप लगाए तो उन्होंने दावा किया कि उन्होंने कोई डेटा या जानकारी नहीं छिपाई। हालांकि हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगने वाले उनके जवाब से यह स्पष्ट दिखता है कि वह जानकारी नहीं दी गई जिसका पहली बार में खुलासा करना चाहिए था।’’ दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालतों को इस मामले में सावधानी बरतने की आवश्यकता है कि राजनीतिक व्यक्ति अपने हितों के लिए न्यायिक प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं करें।
पीठ ने कहा, ‘‘इसका मतलब यह नहीं है कि राजनीतिक व्यक्ति जनहित याचिका दायर नहीं कर सकते लेकिन अदालतों को तब अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए जब अन्य राजनीतिक व्यक्तियों के खिलाफ आरोप लगाए जाते हैं।’’ अदालत ने कहा कि स्वामी की याचिका पर जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई नहीं की जा सकती क्योंकि ऐसा लगता ‘‘यह जनहित याचिका के भेष में राजनीतिक हित याचिका का एक स्पष्ट उदाहरण है।’’ सुनवाई के दौरान केंद्र और दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि वे स्वामी के इस विचार से इत्तेफाक नहीं रखते कि इस मामले में जांच को कांग्रेस नेता लगातार प्रभावित कर रहे हैं। सुनंदा 17 जनवरी 2014 की रात को दिल्ली के एक पांच सितारा होटल के कमरे में रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाई गई थीं।