नयी दिल्ली । दिवाली का त्योहार आने को है ऐसे में ऑनलाइन खरीदारी का प्रवाह अचानक से बढ़ जाता है, साथ ही बढ़ जाता है डिलिवरी ब्वॉयज का काम जो अपनी खुशियों की परवाह किए बगैर रात दिन “खुशियों की होम डिलीवरी” में मसरूफ रहते हैं । ऑनलाइन खरीदारी पोर्टल को किए गए ऑर्डर को घरों तक पहुंचाने का काम डिलीवरी ब्वॉय करते हैं। निबेश यादव ऐसे ही एक डिलीवरी ब्वॉय हैं जिन्हें सुबह आठ बजे तक हर हाल में घर से निकल जाना होता है। वह अपने मोटरसाइकिल में मौजूद ईंधन को देखते हैं, दिन भर के आर्डर को अपने अत्याधिक बड़े बैग में लादते हैं और निकल पड़ते हैं डिलीवरी के लिए। डिलीवरी ब्वॉयज इस सीजन में सबसे ज्यादा व्यस्त रहते हैं। आई पैंसिल और कपड़ों से लेकर मिक्सर ग्राइंडर और मोबाइल फोन तक पहुंचाने के लिए वह शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक सामानों को पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाते हैं।
खरीदारी के इस व्यस्ततम सीजन में हजारों डिलीवरी ब्वॉयज रोजाना 200 पैकेजों की डिलीवरी करते हैं जिन्हें अक्सर प्रत्येक ऑर्डर के लिए 20 रुपये से भी कम मिलता है। सभी पैकेजों को रात आठ बजे तक पहुंचाना होता है। इनके काम के घंटे ज्यादा हैं लेकिन पैसा बहुत कम दिया जाता है। इस पर भी ऑर्डर में किसी कारण से हुई देरी इन डिलिवरी ब्वॉय के लिए मुश्किलें खड़ी कर देती हैं। देरी होने पर ग्राहक कंपनी को ईमेल लिख देता है। इसके अलावा कई बार ग्राहकों के हाथों उन्हें अपमानित भी होना पड़ता है। इनमें से ज्यादातर को अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और मिंत्रा जैसी ऑनलाइन कंपनियों द्वारा प्रत्यक्ष तौर पर नियुक्त नहीं किया जाता बल्कि उनकी नियुक्ति “बाहरी स्रोत के साझेदारों” के तौर पर होती है जो उत्सवी मौसम में ज्यादा काम के दौरान इनके लिए उपयोगी साबित होते हैं। अमेजॉन और मिंत्रा अपने स्थायी कर्मचारियों को अस्पताल में भर्ती होने और दुर्घटना बीमा, नाइट शिफ्त भत्ते, ईंधन की प्रतिपूर्ति और पीएफ जैसी सुविधाएं मुहैया कराते हैं लेकिन यह सुविधाएं बाहरी स्रोत से नियुक्त किए गए कर्मचारियों के लिए नहीं हैं। ग्राहक उपहार भेजने और प्राप्त करने का जश्न मनाते हैं और ऑनलाइन कंपनियां अपने टर्नओवर को लेकर खुश होती हैं लेकिन इन डिलीवरी ब्वॉयज की मुश्किलों की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता।