-बाल मुकुन्द ओझा
देश में त्योहारी सीज़न शुरू हो गया है। इसके साथ ही बढ़ते डेंगू के मामलों ने चिंता का माहौल बनाना शुरू कर दिया है। हर साल मानसून के खत्म होने के साथ डेंगू और मलेरिया जैसी संक्रामक बीमारियां फैलने लगती हैं। डेंगू चिकनगुनिया और मौसमी बीमारियों के बढ़ने से त्योहारी सीजन एक बारगी फीके पड़ गए है। मौसम परिवर्तन और बीमारियों का चोली दामन का साथ है। तापमान में भी घटत बढ़त होता है। यह मच्छर के कारण फैलता है और मच्छर गंदगी और ठहरे हुए पानी में पनपते हैं, तो आवश्यक है कि अपने आसपास स्वच्छता का पर्याप्त ध्यान रखा जाए। मानसून के सीजन में जमकर हुई बारिश के बाद मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है। देश की राजधानी दिल्ली सहित राजस्थान, हरियाणा ,यूपी, एमपी, पंजाब, बिहार और महाराष्ट्र आदि प्रदेशों के अस्पतालों में डेंगू के मरीज तेजी से बढ़े हैं। इन राज्यों में शायद ही कोई इलाका हो, जहां डेंगू का कोई मरीज न हो। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसी को तीन से चार दिन तक उल्टी, तेज बुखार और चक्कर आ रहे हैं तो इसे नजरंदाज न करें। तुरंत ब्लड सैंपल की जांच कराएं। जांच में डेंगू की पुष्टि हुई है तो इलाज कराएं। इस मामले में बिलकुल भी लापरवाही न बरतें। डेंगू फीवर जिसे ‘हड्डी तोड़ बुखार’ भी कहां जाता हैं, भारत में तेजी से अपने पैर पसार रहा है। हर साल इस खतरनाक बीमारी के अनियंत्रति हो जाने मुख्य कारण यह हैं कि इसकी वैक्सीन अभी तक उपलब्ध नहीं हैं। डेंगू की भयावहता का अंदाजा इसी पहलू से लगाया जा सकता है कि समय से उपचार न मिलने के कारण रोगी की मौत भी हो जाती है। विशेषकर जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है वे मौसमी बीमारियों का शिकार हो जाते है। राजधानी जयपुर और विभिन्न जिलों से मिलने वाली खबरों के मुताबिक मौसम परिवर्तन के साथ ही मौसमी बीमारियां और वायरल बुखार का प्रकोप पैर पसारने लगा है, जिसके चलते चिकित्सालय में मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। रोगियों को घंटों लाइन में लगने के बाद चिकित्सक को दिखाने के लिए नंबर आ रहा है। मौसम परिवर्तन के साथ ही सर्दी, खांसी- जुकाम, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू, स्क्रब डेंगू, वायरल बुखार, उल्टी- दस्त के रोगियों की संख्या बढ़ी है। राजस्थान में डेंगू बुखार ने कहर मचा रखा है। अस्पतालों में डेंगू पीड़ितों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। सरकारी उपाय नाकाफी साबित हो रहे है। मच्छरों का प्रकोप भी बीमारियां बढ़ाने में सहायक हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते मौसमी बीमारियां बढ़ी हैं। इस मौसम में जोड़ों में दर्द, बदन दर्द, सिरदर्द, खांसी, जुकाम एवं बुखार होता है। बदलते मौसम में खान पान में सतर्कता रखनी जरूरी है।

खान-पान और साफ-सफाई का ध्यान न दे पाने की वजह से चिकनगुनिया और डेंगू की समस्या से लोगों को दो दो हाथ करने पड़ रहे है। मौसम बदलने के साथ ही बीमारियों का होना भी शुरू हो जाता है और बुखार- जुकाम आदि बीमारियां ज्यादा होने लगती है। चिकनगुनिया, डेंगू आदि होने का खतरा भी बढ़ जाता है और कई बार हम पहचान नहीं कर पाते हैं कि रोगी को चिकगुनिया की बुखार है या डेंगू बुखार या फिर सामान्य बुखार। इस वजह से बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है और मुश्किल से नियंत्रण में आती है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम परिवर्तन और तेजी से होने वाले शहरीकरण के असर ने इन बीमारियों को फैलने में सहायता की है। शुरुआत में चिकनगुनिया में तेज बुखार, लगातार सिरदर्द, आंखों से पानी आना और थकान होना इसकी विशेषता है। इस बीमारी में भले बुखार उतर जाए, लेकिन थकान और सिरदर्द बना रहता है। अधिकांश रोगियों को जोड़ों में दर्द की शिकायत भी होती है। यह दर्द हफ्तों और महीनों के लिए बना रह सकता है। तेज बुखार, सिर दर्द, मतली आना, बदन दर्द और लाल चकत्ते होना डेंगू की पुष्टि करता है। रोगियों की संख्या में डेंगू बुखार एक रक्तस्रावी जो अनिश्चितता के बादल कम ब्लड प्लेटलेट्स का स्तर और रक्त प्लाज्मा के रिसाव में परिणाम का कारण बनता है। डेंगू भी भारी रक्तस्राव मौत का कारण बन सकता है। डेंगू और चिकनगुनिया के बीच का अंतर जानने के लिए रोगी के खून की जांच जरूरी है। इससे खून में मौजूद विशिष्ट वायरस का पता लगा सकते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक खान पान के साथ सजगता और सतर्कता से इन बीमारियों से बचा जा सकता है।

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