आठ सौ करोड़ रुपए पृथ्वीराज नगर योजना की अनुमोदित कॉलोनियों के विकास व नियमन शुल्क के रुप में मिले, आधी राशि भी विकास कार्यों पर खर्च नहीं। विकास कार्यों में अनियमितताओं के आरोप
जयपुर। पृथ्वीराज नगर योजना (पीआरएन) की अनुमोदित कॉलोनियों में विकास कार्य नहीं होने और विकास कार्यों में भारी अनियमितताओं के आरोप लग रहे हैं। ये आरोप पृथ्वीराज नगर जन अधिकार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट घनश्याम सिंह, संरक्षक एडवोकेट राजेश महर्षि व अशोक शर्मा, उपाध्यक्ष रामलाल भामूं व अमर मंडावरा ने लगाए हैं। इनका आरोप है कि विकास शुल्क और नियमन शुल्क के नाम पर जेडीए अरबों रुपए वसूल चुका है, लेकिन विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। जो हो रहे हैं, उनमें भारी भ्रष्टाचार हो रहा है। एडवोकेट घनश्याम सिंह ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद पीआरएन की कॉलोनियों के नियमन व विकास कार्य होने हैं, लेकिन जेडीए यहां लापरवाही बरत रहा है। पृथ्वीराज नगर योजना में 739 कॉलोनियों है, जिनमें से 445 कॉलोनियां अनुमोदित हो चुकी है।
इन कॉलोनियों के अनुमोदन, नियमन व विकास शुल्क के रुप में आठ सौ करोड़ रुपए की राशि आ चुकी है जेडीए के खजाने में। इनमें से आधी राशि ही अब तक विकास कार्यों में खर्च हुई है, जो जेडीए की लापरवाही को दर्शाता है। सैकड़ों कॉलोनियों पेयजल, पार्क, नालियों व सीवरेज से वंचित है। कई कॉलोनियों में सड़क तक नहीं है। मिट्टी में चलना पड़ रहा है। हाईटेंशन लाइनें नहीं हटीं, ना ही पेयजल लाइनें डाली गई है। नगर निगम इन क्षेत्रों में सफाई नहीं करवाता है। घनश्याम सिंह ने आरोप लगाया कि जब जेडीए ने पीआरएन भूमि की अवाप्ति में खातेदारों को मुआवजा ही नहीं दिया, तो विकास शुल्क के नाम पर भारी राशि क्यों ली जा रही है। किस मद में राशि खर्च की जा रही है, यह भी जेडीए बता नहीं रहा है। बिना टेण्डर के कार्य हो रहे हैं, जिनमें घपले के अंदेशे है।