-बाल मुकुन्द ओझा
देश में नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला। लोग कैश के बजाए डिजिटल मोड में बढ़चढ़ कर पेमेंट करने लगे है । यूपीआई पेमेंट को बढ़ावा मिलने लगा है । विशेषकर नोटबंदी के बाद भारत में लोगों पर डिजिटल पेमेंट का ऐसा क्रेज चढ़ा दी देश डिजिटल पेमेंट करने वाले देशों की लिस्ट में टॉप पर शामिल हो गया। देश में यूपीआई ट्रांजैक्शन करने वालों का आंकड़ा दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। आज डिजिटल ट्रांजैक्शन के कई मोड उपलब्ध हैं और इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादात में जबरदस्त इजाफा हो रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में यूपीआई के जरिए लेनदेन में एक नई उपलब्धी हासिल हो गई है। कोरोना महामारी से डिजीटल लेन देन में तेजी से उछाल हो रहा है। यूपीआई के जरिए जुलाई 22 में पहली बार 6 अरब से ज्यादा का लेनदेन हुआ जो 2016 से अभी तक में सबसे अधिक है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि यूपीआई लेनदेन का वित्त वर्ष 22 में 1 ट्रिलियन को पार कर गया। यूपीआई के बढ़ते इस्तेमाल के चलते लोगों को कैश साथ लेकर चलने की जरूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि ज्यादातर दुकानदार भी ऑनलाइन पेमेंट को स्वीकार करते हैं। देश में डिजिटल भुगतान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। 2016 में नोटबंदी हुई तो बड़े पैमाने पर लोगों ने डिजिटल पेमेंट का विकल्प चुना। कोविड-19 महामारी की वजह से इस कार्य में और तेजी आई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में साल 2025 तक डिजिटल पेमेंट्स की आदत में 71.7 फीसदी तक का इजाफा हो जाएगा। वहीं कैश और चेक से पेमेंट बस 28.3 फीसदी ही रह जाएगा। इस हिसाब से देखा जाये तो डिजिटल भुगतान 10 गुना अधिक बढ़ गया है। इतनी तेज गति से बढ़ना काफी आश्चर्यजनक है। वित्तीय लेन देन में आसानी डिजिटल पेमेंट सिस्टम के लिए सबसे अच्छी बात है। आपको कैश ढोने, प्लास्टिक कार्ड, बैंक या एटीएम की लाइन में लगने की जरूरत नहीं है। खासतौर पर जब आप सफर में हों तो खर्च करने का यह सेफ और इजी विकल्प है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार डिजिटल इंडिया यानि समय, श्रम और धन की बचत. डिजिटल इंडिया यानि तेज़ी से लाभ, पूरा लाभ. डिजिटल इंडिया यानि मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिम गवर्नेंस. डिजिटल इंडिया यानि सबको अवसर, सबको सुविधा, सबकी भागीदारी. डिजिटल इंडिया यानि सरकारी तंत्र तक सबकी पहुंच, डिजिटल इंडिया यानि पारदर्शी, भेदभाव रहित व्यवस्था और भ्रष्टाचार पर चोट करना है। भारत डिजिटल पथ पर तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। ड्राइविंग लाइसेंस, बर्थ सर्टिफिकेट पानी बिजली के बिल, इनकम टैक्स रिटर्न आदि अनेक कामों के लिए अब प्रक्रियाएं डिजिटल इंडिया की मदद से बहुत आसान, बहुत तेज हुई है। मोबाइल और वैकल्पिक भुगतान भारतीय युवाओं में लोकप्रिय बने हुए हैं। ई-कामर्स के कारण उम्मीद की जाती है कि 2022 तक ऐसे लेन-देन की संख्या पीओएस ट्रांसैक्शन से बढ़ जाएगी। ऐसा अनुमान है की
अगले कुछ सालों में डिजिटल पेमेंट व्यवसाय में आशातीत वृद्धि होगी। मौजूदा दौर में भारतीय खुदरा बाजार क्रान्तिकारी बदलाव से गुजर रहा है। उपभोक्ता भिन्न चैनल्स (स्रोतो) से डिजिटल खरीदारी कर रहे हैं।
ई-कॉमर्स या इ-व्यवसाय इंटरनेट के माध्यम से व्यापार का संचालन है। न केवल खरीदना और बेचना, बल्कि ग्राहकों के लिये सेवाएं और व्यापार के भागीदारों के साथ सहयोग भी इसमें शामिल है। ई-पेमेंट को हम इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट के नाम से भी जानते हैं ई-पेमेंट या इलेक्ट्रॉनिक ई-पेमेंट किसी भी डिजिटल फाइनेंसियल पेमेंट लेनदेन है जिसमें दो या दो से अधिक पार्टियों के बीच मनी ट्रान्सफर शामिल है। इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट इंटरनेट आधारित प्रक्रियाएं हैं। जो ग्राहक या उपयोगकर्ता को उनकी खरीदारी आदि के लिए ऑनलाइन पेमेंट करने में मदद करती है। इंटरनेट पर पैसे ट्रांसफर करने के लिए। इनमें मुख्य है इलेक्ट्रॉनिक कैश, स्मार्ट कार्ड और डेबिट क्रेडिट, गूगल पे, फोन पे आदि। जब हम इलेक्ट्रॉनिक मीडियम का
यूज करके पेमेंट करते हैं तो वह इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट कहलाता है जैसे-जैसे ई-कॉमर्स का यूज बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट का भी यूज बढ़ता जा रहा है। ऑनलाइन इनवॉइस पेमेंट से कंपनियों को समय बचाने में मदद मिलती है। वे तेज होते हैं और ग्राहकों के लिए अधिकतम प्रयास बचाते हैं। यह भौतिक लेन देन में शामिल अत्यधिक लागत को कम करने में भी मदद करता है। यह कागज के महत्वपूर्ण मात्रा को कम करने में भी मदद करता है जो मुद्रित किया जाएगा और इनवॉइस भेजने के लिए उपयोग किया जाएगा।

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