इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज कहा कि प्रत्येक नागरिक को शांतिपूर्ण ढंग से उत्सव मनाने का अधिकार है और यदि कानूनन इसकी अनुमति है, तो अधिकारियों को लोगों को इस तरह की अनुमति देने में अनिच्छा नहीं दिखानी चाहिए। मुख्य न्यायाधीश डी.बी. भोसले और न्यायमूर्ति एम.के. गुप्ता की पीठ ने कौशांबी जिले के बिरनेर गांव के संजय सिंह एवं इसाई समुदाय के अन्य 34 लोगों द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, वे अपने गांव में हर साल क्रिसमस मनाया करते थे। हालांकि, हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान स्थानीय प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी जिससे गांव में लोगों को एकत्र होने से मनाही हो गई। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि निषेधाज्ञा की आड़ में ग्रामीणों को अब क्रिसमस मनाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।
सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ताओं के वकील ने इस अदालत से अनुरोध किया कि चूंकि आज अंतिम कार्य दिवस है और उच्च न्यायालय 1 जनवरी, 2018 तक बंद रहेगा, 24 दिसंबर से 31 दिसंबर तक क्रिसमस मनाने की अनुमति मांगने के संबंध में प्रार्थना पत्र पर निर्णय करने का अदालत प्रशासन को निर्देश दे सकती है। यह प्रार्थना पत्र 16 दिसंबर को दिया गया था जो जिला प्रशासन में लंबित है। इस पर, अदालत ने संबद्ध अधिकारियों को कानून के मुताबिक इस प्रार्थना पत्र पर सोमवार को या इससे पहले विचार करने का निर्देश दिया। इस याचिका को स्वीकार करते हुए अदालत ने कहा, “हमें उम्मीद है कि जब तक कि इसमें कोई कानून व्यवस्था का मुद्दा शामिल न हो, संबद्ध अधिकारी उस गांव में उत्सव मनाने की अनुमति देने से इनकार नहीं करेंगे।”