सरकार नोटिस जारी कर काम पर वापस लौटने के लिए कहें
जयपुर। राज्य में चल रही डॉक्टर्स की हड़ताल को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश के एस झवेरी और न्यायाधीश वी के व्यास की खंडपीठ ने चिकित्सा शिक्षा सचिव, गृह सचिव, डीजीपी सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि राज्य सरकार हड़ताली डॉक्टर्स को नोटिस जारी कर काम पर वापस लौटने के लिए कहें। साथ ही सरकार 15 नवंबर को हड़ताली डॉक्टर्स की सूची हाईकोर्ट में पेश करे। हाईकोर्ट ने डॉक्टरों को मिलने वाले वेतन और अन्य सुविधाएं का भी ब्यौरा पेश करने को कहा है। सरकार चिकित्सकों की मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार भी करें। दायर जनहित याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई करते हुए दिए। वहीं अदालत ने इस संबंध में दायर एक अवमानना याचिका को वापस लेने के चलते खारिज कर दिया।
डॉक्टर्स की हड़ताल को लेकर दायर जनहित याचिकाओं में कहा गया कि वर्ष 2०11 में हुई हड़ताल को हाईकोर्ट ने सितंबर 2०12 में असंवैधानिक मानते हुए कहा था कि चिकित्सक हड़ताल नहीं कर सकते। इसके अलावा चिकित्सक अपना पंजीकरण कराने से पहले लिखित में शपथ देते हैं कि वे मानवता की सेवा करेंगे, जबकि हडताल कर वे मानवता के साथ छल कर रहे हैं। सरकार ने रेस्मा लागू किया, लेकिन कभी दोषियों को सजा नहीं दी गई। इसके विपरीत समझौते कर मुकदमें वापस लिए गए। हाईकोर्ट ने मौखिक कहा कि एसएमएस का एक चिकित्सक एक दिन में 8०० तक मरीज देख रहा है। वेतन नहीं मिले, तो वह क्या करें? इस पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि यदि चिकित्सकों पर भार है तो क्या वे हड़ताल पर चले जाएं, फिर तो पुलिस को भी हड़ताल कर देनी चाहिए। अस्पतालों में मरीज मर रहे हैं और चिकित्सक हडताल पर हैं। सरकार और डॉक्टर्स के बीच गतिरोध से आमजन पीडित हो रहे है। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता कार्रवाई चाहते हैं या समस्या का समाधान चाहते हैं। बाद में हाईकोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करजवाब मांगा एवं हड़ताल समाह्ण करने के संबंध में कार्रवाई करने की छूट दे दी।