दिल्ली। केन्‍द्रीय पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जन शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्‍य मंत्री डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने ‘मेक इन इंडिया’ स्‍वास्‍थ्‍य मॉड्यूल तैयार करने का आग्रह किया है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आज यहां आयोजित सीआईआई स्‍वास्‍थ्‍य सम्‍मेलन को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा कि 21वीं सदी के भारत की बदलती हुई स्‍वास्‍थ्‍य जरूरतों को पूरा करने के लिए यह मॉड्यूल सार्वजनिक निजी भागीदारी और बहुकेन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सहयोग पर आधारित हो सकता है।

डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने कहा कि संपूर्ण भारतीय समाज बड़ी तेजी से उभर रहा है और हाल ही के समय में भारत भी वैश्विक दुनिया का हिस्‍सा बन गया है, जिससे स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल व्‍यवस्‍था सहित जीवन के प्रत्‍येक क्षेत्र पर प्रभाव पड़ा है। एक ओर मधुमेह और हृदय से जुड़ी बीमारियां ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ रही हैं, जो पहले शहरी आबादी तक सीमित थीं, वहीं दूसरी ओर इलाज के आधुनिक तरीके केवल शहरों और बड़े कस्‍बों तक ही सीमित हैं, जिसके परिणामस्‍वरूप 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी केवल देश की एक तिहाई अस्‍पताल सुविधाओं का ही लाभ उठा पाती है और 600 मिलियन से अधिक लोग देश में किफायती स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल से वंचित हैं।   निजी क्षेत्र के उद्भव को महत्‍वपूर्ण बताते हुए डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने बल दिया कि भारत जैसे विविधता वाले देश के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सुविधाएं अभी भी अत्‍यधिक प्रासांगिक है, इसलिए उन्‍होंने सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल एजेंसियों के बीच स्‍वस्‍थ समन्‍वय का आग्रह किया। डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने पूर्वोत्‍तर के अनुभव का हवाला दिया जहां उन्‍होंने देश के प्रमुख कॉरपोरेट क्षेत्र के अस्‍पताल समूहों को स्‍थान की व्‍यावहारिकता के आधार पर ओपीडी क्लिनिक या जांच केन्‍द्र अथवा संपूर्ण अस्‍पताल सहित विभिन्‍न स्‍तर के स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल केन्‍द्र स्‍थापित करने के लिए प्रोत्‍साहित किया था।

विविधता की सीमा का हवाला देते हुए डॉ. जितेन्‍द्र सिंह ने देश के विभिन्‍न क्षेत्रों की भौगोलिक विविधताओं के बारे में बताया। इस संदर्भ में उन्‍होंने पूर्वोत्‍तर के दूर-दराज के विस्‍तृत क्षेत्रों का हवाला दिया और कहा कि इस क्षेत्र में उन्‍होंने एयर क्लिनिक के रूप में हैलिकॉप्‍टर देखभाल सेवा शुरू करने का प्रस्‍ताव दिया था, जिसके जरिए विशेषज्ञ डॉक्‍टर दूर-दराज के क्षेत्रों में ओपीडी के लिए जा सकते हैं और वापसी के समय जरूरतमंद मरीजों को अस्‍पताल में दाखिल करने के लिये अपने साथ ला सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि यही सुविधा जम्‍मू-कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्‍तराखंड़ जैसे पहाड़ी राज्‍यों में भी शुरू की जा सकती हैं।

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