-संजय सैनी
जयपुर। सिंडीकेट बैंक के एक हजार करोड़ के घोटाले में बैंक के चुनिंदा अफसरों ने बैंक के खजाने को लुटाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। नियम-कायदे कानूनों का तो उल्लंघन किया ही, साथ ही बैंक को भी अरबों रुपयों का नुकसान पहुंचाया। सीबीआई ने अभी तक इन अफसरों से पूछताछ तक नहीं की है। बैंक को खाटा पहुंचाने वाले अफसर आज खुले आम घूम रहे हैं। सीबीआई को घोटाले की प्राथमिक जांच में पता चला कि सिंडीकेट बैंक की मालवीय नगर शाखा ने तो गजब ही कर दिया। बैंक के तत्कालीन चीफ मैनेजर देशराज मीणा ने फरवरी 16 में विभिन्न व्यक्तियों के नाम 32 खाते खोले। उनके नाम चैकबुक जारी की संबंधित खातों में फर्जीवाडे से फंड ट्रांसफर किया। सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में साफ लिखा है कि अभियुक्त देशराज मीणा ने अपना सरकारी पद का दुरुपयोग किया। अभियुक्त भरत बम्ब को विभिन्न व्यक्तियों के नाम बिना उनकी जानकारी के खाता खोलने की सुविधा पहुंचाई।
गारंटर तक के साइन नहीं
सीबीआई को अभी तक खाता खोलने वाले फर्म नहीं मले है। ऐसे में यह पता नहीं लग पा रहा है कि क्या ये खाते ग्राहकों की सहमति से खोले गए थे अथवा नहीं। देशराज मीणा ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। प्रत्येक उधारकर्ताओं को 2.5 करोड़ की राशि की स्वीकृति दी, हालांकि बैंक रिकॉर्ड में कोई भी एलआईसी पॉलिसी, भिंडर स्थित एलआईसी आफिस की ओर से जारी किए गए अधिनिर्धारण पत्र नहीं मिले। मीणा ने इस कदर नियम-कायदों और अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया कि जो हस्ताक्षरित स्वीकृति पत्र रिकार्ड में पाए गए थे उन पर भी उधारकर्ताओं और गारंटर के हस्ताक्षर भी नहीं थे। एलआईसी पालिसियों पर एओडी ऋण स्वीकृत करने के बाद जिन नियमोंं पर लोन स्वीकृत किए गए थे, उनसे संबंधित दस्तावेज और उधारकर्ताओं के बचत खाते खोलने संबंधी मूल फर्मों को आरोपी बरत बम्ब के कर्मचारी गौरव धनवाल ने दिए ते। 32 में से 2 खातों 31 विवेक तिवारी और 32 बंसी मेघवाल में से लोन राशि वितरित नहीं की गई।
आरोपी का कर्मचारी कर लेता था फंड ट्रांसफर
सीबीआई को जांच में यह भी पता चला कि अभियुक्त भरत बम्ब का कर्मचारी विनीत जैन स्वीकृत फंड को मालवीय नगर और एमआईरोड़ शाखा में खोले गए खातों से ट्रांसफर कर लेता था। इसके लिए जैन खुद ही कर्मचारियों के यूजर आईडी और पासवर्ड का उपयोग करता था। जांच में यह भी पता चला कि 19 फरवरी 16, 22 फरवरी 16 और 23 फरवरी 16 की जीईएफयू के माध्यम से विभिन्न व्यक्तियों के सिंडीकेट बैंक की एमआईरोड़ शाखा और मालवीय नगर शाखा में संचालित खातों में विभिन्न बैंकिंग लेन-देन किए गए थे। बैंक रिकार्ड के आधार पर इन व्यक्तियों ने अपने कातों से धनराशि हस्तांरित करने का बैंक से कोई अनुरोध नहीं किया गया था। विनीत जैन ने धोखे से जीईएफयू के माध्यम से सिंडीकेट बैंक की उदयपुर शाखा से क्लर्क हर्ष कोडिया और एवीएम सहायक महाप्रबंधक मिस सोनिया कालरा एवं मलिकार्जून के आईडी पासवर्डों का उपयोग किया था। फर्जी खातों से रकम निकालने के लिए भरत बम्ब के कर्मचारियों ने बैंक अफसरों के आईडी-पासवर्डों तक का इस्तेमाल किया।
खातों के लेनदेन पर सीबीआई और ईडी की निगाह
सिंडीकेट बैंक के 386 खातों में अधिकतर खाते फ्रीज हो चुके हैं। इन खातों के जरिए शंकर खंडेलवाल, भरत बम्ब की कंपनियों में पैसा निकाला गया। एक पूर्व पार्षद पर भी सीबीआई की निगाह है क्योंकि इस पार्षद के खातों में फर्जी खातों से लेनदेन हुआ है। फर्जी खातों से इस पार्षद के साथ जयपुर के कई बिजनेसमैन जुड़े हुए है। सीबाआई और ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को आंशका है कि यह पैसा इन खातों से इस पार्षद के साथियों के पास आया है। इसके अलावा जयपुर, इंदौर, कोलकाता, बैंगलोर और मुंबई के व्यापारियों के खातों में पैसा गया है। यह पैसा शेयर बाजार, व्यापार, रियल स्टेट में निवेश किया गया है। इन व्यापारियों पर अब सीबीआई की जांच की अगली कड़ी में दूसरे शहरों के व्यापारियों से भी पूछताछ की जाएगी। इस पैसे को जहां भी निवेश किया गया है उन संपत्तियों को ईडी जब्त कर सकता है। ईडी शंकर खंडेलवाल और भत बम्ब की पार्थ सिटी और उससे जुड़ी संपत्तियों को जब्त कर चुका है।