समारोह में सामाजिक सराकारों के लिए मलाराम माली स्मृति साहित्यश्री सम्मान से राजाराम भादू और शिव प्रसाद सिखवाल स्मृति महिला लेखन पुरस्कार से उमा को अलंकृत किया गया। इनके अलावा डॉ. नन्दलाल महर्षि स्मृति हिन्दी सृजन पुरस्कार श्रीगंगानगर के डॉ.कृष्ण कुमार आशु, पं. मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार बीकानेर की मोनिका गौड़ व रामकिशन उपाध्याय स्मृति समाज सेवा सम्मान अलवर के डॉ. वीरेन्द्र विद्रोही को दिया गया। सभी को सम्मान स्वरूप ग्यारह-ग्यारह हजार रुपए, प्रशस्ति पत्र, शॉल एवं प्रतीक चिह्न दिया गया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा कि हिन्दी देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। इसको प्रचारित करने के लिए साहित्यिक संस्थाएं अपना योगदान दे रही हैै। यह भाषा जमीन एवं जन विचारों से निकली हुई भाषा है। अध्यक्षता करते हुए समालोचक मालचन्द तिवाड़ी ने कहा कि साहित्यकार समाज को दर्पण दिखाता है। हिन्दी व्यक्ति का शरीर है और क्षेत्रीय भाषाएं इसका अंग है। हिन्दी एक विकसित एवं व्यापक भाषा है। हम अपनी भाषा, संस्कृति व अस्मिता को हिन्दी भाषा से ही बचा सकते है। उन्होंने कहा कि हिन्दी बाजारवाद की भाषा है। समारोह के विशिष्ट अतिथि साहित्यकार दशरथ सोलंकी ने कहा कि हिन्दी भाषा साहित्य के क्षेत्र में अनेक प्रतिमान स्थापित कर रही है। यह आनन्द की भाषा है और इसमें क्षेत्रीय भाषाओं का समावेश है। विषय प्रवर्तन करते हुए मधुमती के सम्पादक बृजरतन जोशी ने कहा कि राजभाषा व राष्ट्र भाषा के बीच हिन्दी भाषा का शोषण हो रहा है और भाषा के विकास की गति धीमी है।
संस्था के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने भाषा के विकास में संस्थागत एवं जन सहयोग की हिमायत करते हुए भाषायी विकास की बात कही। संस्था के मंत्री युवा साहित्यकार रवि पुरोहित ने कहा कि यदि कोई साहित्यकार किसी सामाजिक विद्रुप या मूल्यगत विचलन के विरूद्ध आवाज नहीं उठाए तो यह सांस्कृतिक हमले का ही प्रतिरूप है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रामकृष्ण शर्मा ने अतिथियों का आभार जताया।
इस अवसर पर डॉ. चेतन स्वामी, बजरंग शर्मा, महावीर माली उपखण्ड अधिकारी दिव्या चौधरी, उप अधीक्षक दिनेश कुमार, पूर्व प्रधान दानाराम भाम्भू, श्याम सुन्दर आर्य, रामचन्द्र राठी, डॉ. मदन सैनी, विनोद सिखवाल, महावीर प्रसाद माली, एस.कुमार सिंधी, कान्तिप्रसाद उपाध्याय, करणी सिंह बाना, विजयराज सेठिया, दयाशंकर शर्मा, श्रीगोपाल राठी, राजेन्द्र सोनी, तोलाराम मारू आदि मौजूद थे