जयपुर। राजस्थान में भाजपा सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों और संवादहीनता के खिलाफ अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ की ओर से शुरु किए गए प्रांतव्यापी आंदोलन को कर्मचारियों को भरपूर समर्थन मिल रहा है। आंदोलन के तहत हडताल के लिए मतदान कार्यक्रमों को पूरे प्रदेश में अच्छा समर्थन मिला। यहीं नहीं सरकारी कार्यालयों में आयोजित मतदान कार्यक्रम में कर्मचारियों ने लाइनों में लगकर अपने वोट डाले। महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष आयुदान सिंह कविया के मुताबिक, सभी जिला मुख्यालयों एवं 250 तहसील मुख्यालयों पर आज मतदान कार्यक्रम हुआ। इसमें कर्मचारियों ने बढ-चढ़कर हिस्सा लिया। कई जगहें तो लम्बी लाइनें भी लगी। कविया ने आरोप लगाया कि महासंघ चार माह से आंदोलन करके कर्मचारियों और संविदा कर्मचारियों के समर्थन में राज्य सरकार को ज्ञापन दे रही है। लेकिन सरकार मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है, बल्कि कर्मचारियों की सुविधाओं को छीनने में लगी है। सरकार बोर्ड, निगमों व सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को सेठों के हाथ बेचना चाहती है। सरकारी नौकरियों को समाप्त कर बेरोजगारों के साथ अन्याय कर रही है। 1992 से सहायक कर्मियों व लिपिकों की भर्तियां बन्द है। अब समय आ गया है कि जब राज्य का कर्मचारी एकजुट होकर सरकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलन के लिए सडकों पर उतरने के लिए तैयार है। राज्य मतदान अधिकारी महावीर प्रसाद शर्मा ने बताया है कि पूरे राज्य में एक साथ मतदान कार्यक्रम शुरु किया है। इसमें कर्मचारी जोश के साथ लाईनों में लगकर मतदान कर रहे हैं। जयपुर में चौमूं तहसील में मतदान कार्यक्रम के साथ सभा भी हुई, जिसमें महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के.के गुप्ता ने कहा कि राज्य सरकार के मंत्री झूंठे बयान बाजी बंद करें एवं कर्मचारियों की मांगो पर द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से हल निकाले।
महासंघ के प्रदेश महामंत्री तेजसिंह राठौड के मुताबिक समय रहते राजस्थान सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफ ारिशों सहित 15 सूत्रीय मांग पत्र पर विचार नही किया तो महासंघ हडताल तक की तैयारियां पूर्ण कर चुका है। इस दौरान आम जन को होने वाली असुविधाओं के लिए प्रदेश सरकार उत्तरदायी होगी।