नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का मॉब लीचिंग (भीड़ द्वारा हिंसा) को लेकर बड़ा फैसला आया है। राजस्थान के अलवर में पहलू खान समेत देश भर में गोरक्षा के नाम पर हुई मॉब लीचिंग मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डी वाई चंद्रचूढ़ की बेंच ने आज फैसले में कहा कि किसी को भी कानून हाथ में लेने का हक नहीं है।
भीड़ की हिंसा को सामान्य नहीं मान सकते। किसी को भी कानून को हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। ऐसी हिंसा को रोकने के लिए देश की संसद इस पर कानून बनाए। यह कानून का मामला है और इस पर रोक लगाना हर राज्य की जिम्मेदारी है। यह सिर्फ कानून-व्यवस्था से जुड़ा मसला नहीं है, बल्कि यह एक अपराध है, जिसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए। कोर्ट को यह मंजूर नहीं कि देश में कोई भी कानून को अपने हाथ में ले।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता इंदिरा जयसिंह की याचिका पर ये आदेश दिए हैं। याचिका में कहा था कि देश के कई राज्यों में मॉब लीचिंग की घटनाएं हो रही है। कई लोग मारे जा चुके हैं। राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वे इसे रोके।