-सीआईआई द्वारा जयपुर में गुड्स एवं सर्विस टैक्स पर ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित
जयपुर। कन्फैडरेषन आॅफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) तथा वित्त एवं वाणिज्यिक कर विभाग की ओर से गुड्स व सर्विस टैक्स पर आज होटल क्लाक्र्स आमेर में एक दिवसीय ट्रेनिंग प्रोग्राम के तहत विभिन्न विषयों पर प्लेनरी सैषन आयोजित किए गए।
’जीएसटी – प्री एंड पोस्ट’ विषयक प्लेनरी सैषन में अथेना लाॅ एसोसिएट्स के मैनेजिंग पार्टनर, प्रमोद कुमार राय ने विस्तारपूर्वक बताया कि जीएसटी क्या है, जीएसटी की आवश्यकता क्यों है, जीएसटी के लाभ क्या हैं और उन्होंने जीएसटी के शामिल होने वाले करों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने वर्तमान कर संरचना के बारे में बताया और वर्तमान अप्रत्यक्ष कर की जीएसटी के साथ तुलना की।
राय ने जीएसटी की आवश्यकता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि वर्तमान में वस्तुओं व सेवाओं पर लगने वाले करों में काफी जटिलताएं हैं। केंद्र व राज्यों द्वारा अलग-अलग कर लगाए जा रहे हैं, इनकी गणना के लिए अलग-अलग मानक हैं, कुछ नाॅन क्रेडिटेबल टैक्स हैं, कर दाताओं के लिए टैक्स की अनुपालना की लागत में बढ़ोतरी है और सरकार के लिए टैक्स कलेक्षन में भी अधिक लागत आ रही है। उन्होंने आगे बताया कि जीएसटी के अनेक लाभ हैं। इससे करों की संख्या व इनकी चोरी में कमी आएगी, कर आधार में बढ़ोतरी होगी, करों की अनुपालना अधिक बेहतर होगी, काॅमन नेषनल मार्केट होगा तथा जीडीपी में बढ़ोतरी की उम्मीद भी की जा रही है। उन्होंने भारतीय जीएसटी प्रणाली की जानकारी देते हुए बताया कि भारत में जीएसटी को संवैधानिक संशोधन के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है। अनुच्छेद 246-ए संसद व राज्यों की विधानसभाओं को केन्द्र एवं राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले जीएसटी पर कानून बनाने की शक्ति प्रदान करता है। यह अनुच्छेद केंद्र व राज्यों के मध्य कानून बनाने की शक्तियों के बंटवारे को ओवरराईड करता है।जीएसटी काउंसिल का प्रत्येक निर्णय इसकी बैठक में बहुमत से लिया जायेगा जिसमें उपस्थित सदस्यों व मतदान करने वालों के कम से कम तीन चैथाई की स्वीकृति होगी। जबकि केंद्र सरकार का कुल डाले गए मतों में से एक तिहाई हिस्सा होगा और राज्य सरकारों का दो तिहाई हिस्सा होगा। जीएसटी के लिए पंजीकरण की आवश्यकताओं को समझाते हुए श्री राय ने आगे जानकारी दी कि अंतरराज्यीय कर वाली वस्तुओं की सप्लाई करने वाले व्यक्तियों, कर वाली वस्तुओं की सप्लाई करने वाले कैजुअल टैक्सेबल व्यक्तियों, रिवर्स चार्ज के तहत टैक्स का भुगतान करने वाले व्यक्तियों, ई-कॉमर्स ऑपरेटरों व इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर्स के लिए पंजीकरण कराना आवष्यक होगा। राय ने मौजूदा उन अप्रत्यक्ष करों पर भी प्रकाश डाला, जिन्हें जीएसटी में शामिल नहीं किया जाएगा। इनमें बेसिक कस्टम ड्यूटी, एंटी डम्पिंग ड्यूटी / सेफगार्ड ड्यूटी, शराब व पेट्रोलियम पर वैट तथा तम्बाकू पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क शामिल है।