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लॉस एंजीलिस। देश-दुनिया में सोशल मीडिया पर युवा पीढ़ी को देखकर हर कोई कहता है कि यह अपना जीवन खराब कर रहे हैं। ना पढ़ाई पर ध्यान है और ना ही करियर पर। दिनभर फेसबुक, टिवटर, वाट्सअप, इंटरनेट पर चिपकने रहने से कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि इन सबके बीच एक सुखद समाचार भी आया है। एक शोध में बताया गया है कि फेसबुक का इस्तेमाल ज्यादा करने से जीने में मदद कर सकता है। लेकिन यह तभी संभव है जब आप इसका इस्तेमाल वास्तविक दुनिया के सामाजिक संबंध को बनाए रखने में करेंगे। कैलिफ ोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने दावा किया है, कि सकारात्मक चैट से खुशियां तो बढ़ती ही है और सेहत भी सुधरती है।
यह शोध सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले 1.2 करोड़ उपभोक्ताओं पर किया गया। जिन लोगों पर यह अध्ययन किय। उनका जन्म 1945 से 1980 के बीच हुआ था। शोध में पाया कि जो लोग नियमित रूप से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं, वे इसका इस्तेमाल नहीं करने वालों से 12 फ ीसदी अधिक जीते हैं। जिन लोगों का मजबूत सामाजिक दायरा होता है यानि जिनके अधिक दोस्त होते हैं, वे लंबी उम्र तक जीते हैं। यही बात ऑनलाइन सामाजिक दायरा रखने वाले लोगों पर भी लागू होती है। जल्द ही इंटरनेट सर्च इंजनों का इस्तेमाल आत्महत्या रोकने में हो सकता है। इसके लिए वैज्ञानिक एक ऐसा तरीका विकसित कर रहे हैं जिससे उन लोगों की पहचान प्रभावी ढंग से हो सके। जिनके आत्महत्या करने की आशंका अधिक है। इन सर्च इंजनों के माध्यम से आत्महत्या को आतुर आशंकित लोगों को इस मनोस्थिति से उबरने में मदद के लिए उचित काउंसलिंग दी जाएगी और उन्हें यह बताया जाएगा कि उन्हें कहां से मदद मिल सकती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सर्च इंजन पर डाले गए सवाल सिर्फ अपभोक्ता की रुचि के बारे में ही नहीं बताते हैं, बल्कि इसमें उनके मूड की स्थिति से जुड़ी जानकारी भी निहित होती है। इस अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता विलियम हॉब्स ने कहा, ऑनलाइन होने वाली गतिविधि अगर वास्तविक दुनिया में होने वाली बातचीत की तरह संतुलित हो तो ऐसी बातचीत लंबी उम्र का कारण बनता है। लेकिन बिना सामाजिक दायरे के सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है और इससे व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक रूप से कई परेशानियां हो सकती हैं।

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