इंदौर। आबकारी विभाग के 41.40 करोड़ रुपये के घोटाले के बहुचर्चित मामले में फरार आरोपियों में शामिल फर्जी ठेकेदार को पुलिस ने आज धर दबोचा। इसकी गिरफ्तारी पर 20,000 रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस ने मामले की तहकीकात के लिये विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। एसआईटी के प्रमुख और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सम्पत उपाध्याय ने संवाददाताओं को बताया कि मुखबिर की सूचना पर बलराम माली (44) को मंदसौर जिले के टीलाखेड़ा गांव से पकड़ा गया। वह दीपावली मनाने के लिये अपने घर पहुंचा था। इससे पहले वह मध्यप्रदेश और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में पुलिस से छिपता फिर रहा था।
उपाध्याय ने बताया कि माली मामले के उस प्रमुख आरोपी शराब ठेकेदार अंश त्रिवेदी का गुर्गा है, जिसकी तलाश की जा रही है। माली को त्रिवेदी की कम्पनी एटीएम ग्रुप से 10,000 रुपये का मासिक वेतन मिलता है। उन्होंने बताया कि आरोप है कि माली ने त्रिवेदी के कहने पर वर्ष 2015-16 में इंदौर जिले के पिगडम्बर क्षेत्र में अपने नाम से शराब का ठेका लिया था। असल में इस ठेके की किश्तों का भुगतान और अन्य सारी औपचारिकताएं त्रिवेदी की ओर से ही पूरी की जा रही थीं। पुलिस आबकारी विभाग के घोटाले में इंदौर जिले के जिन 16 शराब ठेकों की जांच कर रही है, उनमें माली के नाम से लिया गया ठेका शामिल है। उपाध्याय ने बताया कि आरोपी ठेकेदारों ने ठेका नीलामी की राशि की किश्तों के भुगतान और मदिरा का कोटा खरीदने के लिये पिछले दो सालों के दौरान बैंक में तय राशि से कम रकम के चालान जमा कराये। लेकिन इस चालान की प्रति में पेन से हेर-फेर कर आबकारी विभाग को गलत सूचना दी कि उन्होंने बैंकों में तय राशि के चालान जमा कराये हैं। सिलसिलेवार फर्जीवाड़े से सरकारी खजाने को कुल 41.40 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा। पुलिस ने इस घोटाले को लेकर अब तक 16 शराब ठेकेदारों और इनके चार सहयोगियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किये हैं। इनमें से चार ठेकेदारों और इनके तीन सहयोगियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। बाकी आरोपियों की तलाश जारी है।