डूंगरपुर. डूंगरपुर से करीब 75 किलोमीटर दूर गुजरात के मोडासा में पटाखा फैक्ट्री में लगी भीषण आग में डूंगरपुर के 4 युवक जिंदा जल गए। पांचवां युवक इन्हीं चार में से एक का सगा बड़ा भाई था। हादसे से चंद सेकेंड पहले वह पहली मंजिल से लकड़ी की टेंपरेरी सीढ़ियों से नीचे उतरा था। वह बच गया, लेकिन चारों साथियों की जलकर मौत हो गई। आग विस्फोट के साथ लगी। ऐसे में ये चारों युवक पहली मंजिल पर फंस गए। जहां सीढ़ी थी वहीं आग धधकी। इसके बाद आग फैल गई। चारों जहां थे, वहीं कोयला और राख में तब्दील हो गए। ये फैक्ट्री गुजरात में हिम्मतनगर मोडासा हाईवे पर लालपुरा क्षेत्र में है। अजय, सचिन, ललित, हरीश और रामलाल डूंगरपुर से मजदूरी के लिए मोडासा गए थे। ये लोग भवन निर्माण में सेंटिंग और मजदूरी का काम करते थे। गुरुवार को वे पटाखा फैक्ट्री गोदाम की ही एक निर्माणाधीन इमारत में सेंटिंग का काम कर रहे थे। इस दौरान आग लगी और सचिन को छोड़कर चारों की मौत हो गई। मृतकों में गेंजी निवासी ललित (42) पुत्र गैबीलाल ननोमा, बांसिया निवासी अजय (21) पुत्र खेमराज कोटेड, गुंडलारा निवासी हरीश गोदा (21) और रामलाल गोदा (25) शामिल हैं। हम पांचों एक साथ फैक्ट्री परिसर में ही पटाखा गोदाम के पास निर्माणाधीन इमारत में पहली मंजिल पर काम कर रहे थे। सेंटिंग का काम हमने एक साथ शुरू किया था। दोपहर को सभी ने एक साथ खाना खाया। फिर दोबारा काम में लग गए। शाम के 4 बजने वाले थे। मैं रिंग बनाने नीचे उतरा। उसी समय पटाखा फैक्ट्री से धमाकों की आवाज आने लगी। मैंने गेट पर बैठे सुपरवाइजर से पूछा तो उसने पटाखों की टेस्टिंग होना बताकर बात टाल दी। कुछ ही देर में पटाखों के धमाके बढ़ते गए। फिर आग की लपटें उठने लगीं। मैं जोर से चिल्लाया और अपने भाई अजय समेत उसके साथ काम कर रहे साथियों को बचाने दौड़ा, लेकिन आग के साथ धमाके बढ़ने पर दूसरे लोगों ने मुझे पकड़ कर बाहर निकाल दिया। मेरा भाई अजय और उसके साथी पहली मंजिल पर ही फंस गए। पहली मंजिल से नीचे उतरने के लिए लकड़ी की टेंपरेरी सीढ़ी लगी थी। उसी जगह पर सबसे ज्यादा आग लगी थी। वे लोग नीचे नहीं उतर सके। पटाखों के धमाकों और आग में फंसकर वे वहीं झुलस गए। अजय समेत चारों की मौत हो गई।

LEAVE A REPLY