jaipur. पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर(डीएफसी) पर भारत के व्यस्ततम रेल नेटवर्क मदार(राजस्थान) से किशनगढ़ बालावास (रेवाड़ी) के बीच 306 किमी. लंबे सेक्शन पर रविवार को मालगाड़ी का सफल ट्रायल किया गया। यह डीएफसी पश्चिम कॉरिडोर के पहले चरण का हिस्सा है। ट्रायल का उद्घाटन राजस्थान के न्यू किशनगढ़ स्टेशन पर स्टेशन वरिष्ठ कार्यकारी श्री रविन्द्र शर्मा ने डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री अनुराग सचान की उपस्थिति में किया।

इस 306 किमी. सेक्शन में डबला, भगेगा, श्रीमाधोपुर, पचार, मलिकपुर, शकुन व किशनगढ़ सहित 6 क्रासिंग स्‍टेशन, 9 नए फ्रेट स्टेशन और तीन जंक्शन स्टेशन रेवाड़ी, अटेली व फुलेरा में बनाए गए हैं। इसके अलावा रेवाडी और महेंद्रगढ़ और राजस्थान के जयपुर जिलों में स्थित है। इस सेक्शन में 15 बड़े पुल, 271 छोटे पुल, चार रेल फ्लाईओवर (आरएफओ) 177 रोड अंडर पुल (आरयूबी) शामिल हैं। बता दें कि देश में पहली बार मालगाड़ी को पहले की तुलना में 44 किमी. प्रतिघंटा ज्यादा गति से बिजली से चलाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि इस सेक्शन की निर्माण लागत 3918 करोड़ रुपये है, इसमें जमीन की कीमत शामिल नहीं है। इस सेक्शन के खुल जाने से राजस्थान और हरियाणा के रेवाड़ी-मानेसर, नारनौल, फुलेरा और किशनगढ़ क्षेत्रों में स्थित विभिन्न उद्योगों को लाभ मिलेगा। विदित हो इस तरह के मालगाड़ियां अमेरिका, कनाडा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, चीन, रूस, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन और नार्वे में चलाई जा रही हैं। इस सेक्शन पर 7000 किलोवॉट (9000 अश्व शक्ति) वाले ताकतवर इंजन चलाए जा सकते हैं। सुरक्षित और कारगर परिचालन के लिए गाड़ी सुरक्षा और चेतावनी प्रणाली लगाई गई है। इस सेक्शन पर कहीं भी सड़क की क्रासिंग नहीं है और आधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से कम ऊर्जा की खपत संभव हो गयी है। इस कॉरिडोर को केवल मालगाड़ियों के परिचालन के लिए निर्मित किया गया है।

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