For the first time, India has not been held responsible for breaking the WTO talks: Lord

ब्यूनस आयर्स। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि हालिया इतिहास में संभवत: यह पहला मौका है जबकि विश्व व्यापार संगठन :डब्ल्यूटीओ: की मंत्रिस्तरीय वार्ता के टूटने के लिए भारत को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। प्रभु ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम यहां खुले मन से आए थे। लेकिन कुछ सदस्यों के अड़ियल रुख की वजह से चीजें आगे नहीं बढ़ पाईं।’’ डब्ल्यूटीओ का 11वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन अमेरिका द्वारा खाद्य भंडारण के मुद्दे पर स्थायी समाधान की अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हटने की वजह से टूट गई। अमेरिका और कई अन्य सदस्य पहले इस मुद्दे पर प्रतिबद्धता जता चुके थे। वार्ता टूटने की वजह से सम्मेलन के अंत में कोई मंत्रिस्तरीय वक्तव्य नहीं जारी किया जा सके। हालांकि, सम्मेलन की अध्यक्ष और अर्जेंटीना की मंत्री सुसान मालकोरा ने घटनाक्रमों के बाद में बयान जारी किया।

प्रभु ने कहा, ‘‘पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत को इसका दोष नहीं दिया गया है। हम खलनायक की तरह वापस नहीं जा रहे हैं।‘‘ उन्होंने कहा कि देश को कुछ नुकसान नहीं हुआ, बल्कि हमें विकासशील राष्ट्रों के साथ प्रतिष्ठा बनाने में मदद मिली। पिछली मंत्रिस्तरीय बैठकों में भारत पर समझौता नहीं करने का सख्त रुख अपनाने का आरोप लगता रहा है जिससे सदस्य देशों के महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति बनाने के प्रयासों को झटका लगता है। मंत्री ने कहा कि मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान उन्हें दो दर्जन द्विपक्षीय बैठकों का अवसर मिला, जिसके दौरान उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर भारत और अन्य विकासशील देशों का रुख स्पष्ट करने में मदद मिली। खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर प्रभु ने कहा कि भारत इसका स्थायी समाधान चाहता है।

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