1 lakh tivar followers of former Chief Minister Ashok Gehlot

जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में लगातार मासूम बच्चियों के साथ हो रही बलात्कार की भयावह घटनाएं सरकार व समाज दोनों के लिए चिंता का विषय है। अकेले जयपुर के जेण्के लोन अस्पताल में अनेकों बच्चियों को भर्ती होना पड़ा है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के अभाव में लोगों के हौसले बढ़ रहे हैं। सरकार को कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए। गहलोत ने मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था निरंतर बिगड़ती जा रही है। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया द्वारा खाली आंकड़े देने से काम नहीं चलेगा। आंकड़े तो सरकार की मंशा पर निर्भर करते हैं। प्रदेश सरकार के खिलाफ बढ़ते असंतोषए किसानों व आमजन में आक्रोश को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी वर्तमान सरकार से बहुत दुःखी हैं। उनसे कार्यकर्ताए विभिन्न संगठनों के कर्मचारी जहां तहां मिलते हैं तो पूछते हैं क्या करें इस सरकार काए इतने दुःखी हैं। कहते हैं अन्याय हो रहा हैए नौकरियां अटकी पड़ी है। विद्यार्थी मित्र बहुत दुखी हैं।  अदालत द्वारा अजमेर ब्लास्ट प्रकरण में इन्द्रेश कुमार और शांति प्रज्ञा के खिलाफ एनआईए द्वारा पेश रिपोर्ट को कोर्ट द्वारा विधिपूर्वक नहीं माने जाने के सवाल पर गहलोत ने कहा कि यह मामला सब-ज्युडिस है. इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। फिर भी एनआईए एक प्रतिष्ठित जांच एजेन्सी है, उसके लिए ऐसी टिप्पणी को मैं गंभीर मानता हूं। पहली बार संघ के दो लोगों को सजा सुनाई गई है। कानून को अपना काम करने देना चाहिए। गहलोत ने एक अन्य सवाल पर कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जैसे इनके सम्मानित नेता की सरकार जा सकती है तो वर्ष 2019 में मोदी जी की सरकार क्यों नहीं जा सकती। उत्तर प्रदेश में जीत को लेकर जो माहौल बनाया गया है वो बनावटी माहौल है। ध्रुवीकरण करके चुनाव जीतना अलग बात है मगर ऐसे में लोकतंत्र कहां रहेगा।
धौलपुर उप चुनाव में सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग को लेकर गहलोत ने कहा कि भाजपा सरकार ने 11 मंत्रियों को धौलपुर में तैनात कर सरकारी मशीनरी के दुरूपयोग की शुरूआत तो पहले ही कर दी है। पूर्व में सम्पन्न चार उप चुनावों में सरकार ने दूर-दराज जिलों के अधिकारियों तक को जाति आधार पर वहां भेजकर अपनी जाति के लोगों को भाजपा के पक्ष में मतदान कराने की जो परम्परा डाली हैए वो दुर्भाग्यपूर्ण है। चुनाव आयोग को चाहिए कि वो इस पर नजर रखे और ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे।

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