– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। भारत वह भूमि है, जिसे दुनिया के तमाम लोग देखने की हसरत रखते हैं और जिन्होंने उसकी एक झलक भी देखी है, वे उस एक झलक के बदले दुनिया के तमाम नजारों को ठुकरा सकते हैं। प्रसिद्ध दार्शनिक मार्कट्वेन का यह कथन भारत की सांस्कृतिक विविधता, चप्पे-चप्पे पर बिछा उतार-चढ़ाव भरा इतिहास, उसी इतिहास से तादात्म्य बनाती अनमोल पुरा संपदा, बेमिसाल वास्तुशिल्प और नयनाभिराम प्राकृतिक नजारों की हकीकत बयान करने वाला है। सदियों से दुनियाभर के आकर्षण का केंद्र रही इसी हकीकत ने अब पर्यटन के वैश्विक मानचित्र में भारत को अहम जगह दिला दी है और वह एक बड़े उद्योग का रूप लेकर देश की अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी है।
भारत ही नहीं, दुनिया का लगभग हर विकसित व विकासशील देश आज पर्यटन उद्योग को लेकर बेहद संजीदा और सचेत है। भारत में तो यह तीसरा सबसे बड़ा सेवा उद्योग है। इस उद्योग को लेकर भारत की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत सरकार में बाकायदा इसके लिए पर्यटन मंत्रालय एक नोडल एजेंसी के रूप में सक्रिय है, जिसका कार्य भारत में पर्यटन उद्योग का विकास और संवद्र्धन करना है। मुख्य रूप से इसके अंतर्गत पर्यटन में निवेश की नीतियां और कार्यक्रम बनाना तथा केंद्र और राज्य सरकार के पर्यटन संबंधी कार्यक्रमों आदि का समन्वय करना आता है। पर्यटन उद्योग के प्रति भारत की इस गंभीरता को भलीभांति समझने के लिए हमें भारतीय अर्थव्यवस्था को इससे होने वाले लाभ के विषय में थोड़ा गहराई से जानना-समझना होगा। उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग की हिस्सेदारी छह फ ीसदी से अधिक है। इसके साथ ही देश के सकल रोजगार में भी इस क्षेत्र का हिस्सा लगभग नौ फसदी है। जाहिर है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग ने अपना एक विशिष्ट और अत्यंत लाभकारी मुकाम बना लिया है। उल्लेखनीय तथ्य यह भी है कि पर्यटन उद्योग से होने वाले इस लाभ का एक बड़ा हिस्सा हमें विदेशी पर्यटकों से प्राप्त होता है। दर्शनीय पर्यटन स्थलों के कारण भारत की तरफ विदेशी सैलानियों का खासा रुझान रहता है। उनकी आमद भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाती है।
इसी संदर्भ में एक रिपोर्ट पर गौर करें तो भारत में प्रतिवर्ष लगभग पचास लाख विदेशी पर्यटक आते हैं, जिनसे भारतीय पर्यटन उद्योग को तकरीबन ग्यारह अरब डॉलर की कमाई होती है। ऐसे में अगर विदेशी पर्यटकों की आमद में कमी होने लगे तो यह निश्चित ही चिंता का विषय है। सन् 2011 में भारत में विदेशी पर्यटकों के आने की दर में नौ फ ीसदी की बढ़ोतरी हुई थी जो कि 2012 में छह फ ीसदी और 2013 में तीन फ ीसदी पर पहुंच गई। हालांकि 2014 में इसमें कुछ बढ़ोतरी हुई, लेकिन वर्ष 2015 में पुन: उनके आवागमन में कमी ही पाई गई। इस साल जनवरी से जून तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, जरूर विदेशी पर्यटकों की आवक में लगभग सात फ ीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। इन आंकड़ों से इतर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले कई राज्यों में उनकी आमद में कमी ही पाई जा रही है। जैसे कि विदेशी सैलानियों को लुभाने वाले हिमाचल के शिमला-मनाली से लेकर आगरा के ताजमहल तक और ऐतिहासिक किलों और हवेलियों के प्रदेश राजस्थान के सभी पर्यटन स्थलों पर इस वर्ष अब तक विदेशी पर्यटकों की आमद घटने की ही बात सामने आई है। साल-दर-साल भारत में विदेशी पर्यटकों की आवक में वृद्धि की दर में कमी होना बताता है कि अगर इसी तरह से भारत के प्रति विदेशी पर्यटकों का लगातार मोहभंग होता रहा, तो आने वाले समय में यह रुझान भारतीय पर्यटन उद्योग के लिए बड़ा संकट खड़ा कर सकता है।
भारत के प्रति विदेशी पर्यटकों की इस उदासीनता या मोहभंग की अहम वजह है उनके साथ होने वाली आपराधिक वारदातें। पिछले कुछ सालों से हमारे देश में विदेशी पर्यटकों, खासकर महिला पर्यटकों के साथ लूटपाट व दुराचार की घटनाएं बढ़ी हैं। इसी वजह से विदेशी पर्यटकों खासकर महिला पर्यटकों की आमद साल-दर-साल घटती जा रही है। बीते वर्षों में देश के विभिन्न शहरों में ट्रेवल ऑपरेटरों से बातचीत के जरिए किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी कि ज्यादातर विदेशी सैलानियों की भारत आने को लेकर हिचक के पीछे मुख्य वजह असुरक्षा का भाव है। सर्वेक्षण के मुताबिक, इस संबंध में लगभग सत्तर फ ीसदी ट्रैवल ऑपरेटरों का कहना था कि हर विदेशी पर्यटक की भारत आने की पहली शर्त पुख्ता सुरक्षा होती है और मौजूदा हालात में भारत में इस चीज का खासा अभाव दिख रहा है। विदेशी सैलानियों के साथ होने वाली आपराधिक वारदातों के कुछ मामलों पर गौर करें तो अभी इसी साल अप्रैल में राजस्थान के अजमेर घूमने आए एक स्पेनिश जोड़े पर कुछ बदमाशों ने हमला कर उन्हें घायल कर दिया और महिला के साथ बलात्कार की कोशिश भी की। जोधपुर और जयपुर में विदेशी महिला के साथ बलात्कार की घटनाएं हो चुकी है। विदेशी पर्यटकों के क्रेडिट कार्डों का क्लोन बनाकर हजारों पर्यटकों के साथ करोड़ों-अरबों की धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आ चुकी है। एक अन्य वारदात में अपने माता-पिता के साथ देहरादून घूमने आई बारह साल की इसराइली लड़की के साथ एक फ ोटोग्राफ र ने बदसलूकी करने की कोशिश की। ऐसे ही पिछले साल जून में दिल्ली के द्वारका में एक तीस वर्षीय विदेशी महिला का सामूहिक बलात्कार कर उसके साथ लूटपाट भी की गई थी। वर्ष 2014 में दिल्ली में एक 51 वर्षीय डेनिश महिला के साथ भी लूटपाट और बलात्कार की घटना हुई थी। इसके अलावा 2013 में मध्यप्रदेश के दतिया में विदेशी महिला के साथ हुई सामूहिक बलात्कार की वारदात ने भी देश को शर्मसार किया था। कुल मिलाकर तथ्य यह है कि पिछले तीन-चार साल में विदेशी सैलानियों के साथ होने वाले अपराधों में बेतहाशा इजाफ ा हुआ है। जाहिर है, ऐसी घटनाओं के चलते विदेशी पर्यटकों के मन में भारत भ्रमण को लेकर असुरक्षा का भाव घर करता जा रहा है, जिसकी वजह से वे भारत की ओर से लगातार मुंह फेरते जा रहे हैं। पर्यटन के वैश्विक मानचित्र में बेशक भारत का अपना अहम मुकाम और आकर्षण है। ‘अतिथि देवो भव: की हमारी उदात्त परंपरा भी है, जो हमें दुनिया में एक अलग पहचान दिलाती है लेकिन अगर यहां आने वाले सैलानी अपने को सुरक्षित न समझें और उनके साथ गंभीर आपराधिक वारदातें एक कभी न थमने वाला सिलसिला बन जाए तो फि र हमारे यहां के सारे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक आकर्षणों का क्या मतलब रह जाता है। भारत के अधिकतर पर्यटन स्थलों जैसे दिल्ली, मुंबई, आगरा, वाराणसी, हरिद्वार, अजमेर, जोधपुर, सांची, जयपुर, गोवा आदि में आपराधिक घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। राजधानी दिल्ली तो खैर दिनोंदिन ‘रेप कैपिटलÓ ही बनती जा रही है। विदेशी पर्यटकों के मन में भारत को लेकर बढ़ रहे असुरक्षा भाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे अब भारत आते ही अपनी सुरक्षा के लिए मिर्च-पावडर रखने से लेकर बॉडीगार्ड रखने तक खुद ही तमाम तरह के इंतजाम करने लगे हैं। यह स्थिति हमारी पुलिस व्यवस्था पर एक कठोर टिप्पणी तो है ही, हमारे पर्यटन उद्योग के लिए भी बेहद नुकसानदेह है और दुनिया में भारत की छवि खराब करने वाली भी है। हमारे पर्यटन मंत्रालय समेत राज्य सरकारों का यह दायित्व बनता है कि वे इन बातों पर गौर करते हुए विदेशी सैलानियों की सुरक्षा के लिए कुछ ठोस नीति बनाएं, जिससे कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। पर्यटन के क्षेत्र में विकास और देश की जीडीपी में पयज़्टन की हिस्सेदारी को बढ़ाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रमुख एजेंडों में से एक है। इसके लिए केंद्र सरकार जहां एक ओर घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है तो दूसरी ओर विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए भी सरकार तमाम कोशिशें कर रही है। इसके तहत सरकार बुनियादी ढांचे को सुधारने से लेकर पर्यटन से जुड़ी सुविधाओं की बेहतरी पर जोर दे रही है। केंद्र सरकार पर्यटन के नक्शे पर भारत का नाम प्रमुखता से उभारना चाहती है, इसी के मद्देनजर वह विदेशी पर्यटकों को भारत बुलाने पर खासा ध्यान दे रही है। इसके तहत जहां एक ओर भारत सरकार ने ई टूरिस्ट वीजा की शुरुआत की, वहीं दूसरी ओर विदेशी पर्यटकों के लिए स्पेशल हेल्पलाइन से लेकर टूरिस्ट किट और मोबाइल सिम तक तमाम सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने नंवबर 2014 को भारत में ई टूरिस्ट वीजा की शुरुआत की थी। इसके लिए पर्यटन मंत्रालय ने गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और नागर विमानन मंत्रालय के साथ मिलकर काम किया था। सरकार के ये सारे प्रयास निश्चित रूप से विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने वाले हैं, लेकिन अहम सवाल है पर्यटकों की सुरक्षा का। जब तक विदेशी पर्यटकों के साथ आपराधिक वारदातों पर अंकुश नहीं लगता और वे अपने को भारत में सुरक्षित महसूस नहीं करते तब तक इन सारे प्रयासों का भी कोई मतलब नहीं है।