नई दिल्ली। भारतीय जल सेना के पूर्व अधिकारी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्ठी लिखकर भारतीय जल सेना में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी दी। और अपनी चिंता भी जताई की देश की सूरक्षा से सम्बन्धित इस विभाग में किस तरह से भाई-भतीजावाद का गौरखधंधा चल रहा है। उन्होंने खत में बताया कि किस तरह से पनडुब्बी के सिस्टम के साथ छेड़छाड़ की गई। खत लिखने वाले इस नौसेना अधिकारी ने हाल ही में ये साबित करने के बाद सेवा छोड़ दी थी कि उप-एडमिरल ने अपने दामाद को बढ़ावा देने के लिए सिस्टम में छेड़छाड़ की थी। इस प्रक्रिया में लगभग सभी रूसी-प्रशिक्षित परमाणु पनडुब्बी आॅपरेटरों को मिटा दिया गया था। लेफ्टिनेंट कमांडर एसएस लूथरा ने प्रधानमंत्री को नाम लेकर लिखा है कि कम से कम तीन सेवारत अधिकारी विद्रोह में सक्रिय रूप से सहायता करते थे। लेफ्टिनेंट-कमांडर लूथरा ने प्रधानमंत्री से परमाणु देशद्रोह के रूप में साजिश से निपटने के लिए कहा है। सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल में लेफ्टिनेंट कमांडर लूथरा ने स्थापित किया कि वाइस एडमिरल पीके चटर्जी ने अपने दामाद को बढ़ावा देने के लिए सभी रूसी-प्रशिक्षित परमाणु पनडुब्बी आॅपरेटरों को मिटा दिया।

एक दुर्लभ फैसले में, 31 जुलाई को ट्रिब्यूनल के प्रिंसिपल बेंच ने उप-एडमिरल चटर्जी, पूर्व महानिरीक्षक, परमाणु सुरक्षा और नौसेना के खिलाफ फैसला सुनाया और कहा कि यह तथ्य परेशान करने वाला था कि फोर्स ने भाई-भतीजावाद रोकने के लिए कोई सिस्टम नहीं बनाया. बेंच ने वाइस एडमिरल पर 5 लाख रुपये का जुमार्ना लगाया था। लेफ्टिनेंट कमांडर लूथरा आईएनएस चक्र पर परमाणु रिएक्टर आॅपरेटर थे, परमाणु पनडुब्बी भारत ने 2010 में रूस से लीज किया था। प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में लेफ्टिनेंट कमांडर लूथरा ने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद, नौसेना ने अभियुक्त की सहायता जारी रखी। वाइस एडमिरल चटर्जी पिछले हफ्ते एक नागरिक के साथ नौसेना मुख्यालय भी पहुंचे। अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने विभिन्न अधिकारियों से मुलाकात की, जिन्होंने मुझे रिपोर्ट सौंपी थी और कार्मिक शाखा के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा भी की। उन्हें विभिन्न दस्तावेज, एसीआर और बोर्ड की कार्यवाही भी दिखायी गई, जो कि गोपनीय प्रकृति के होते हैं और एक सेवानिवृत्त अधिकारी को नहीं दिखाना चाहिए।

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