जयपुर। राजस्थान कांग्रेस में चल रही वर्चस्व की लड़ाई पर पार्टी हाईकमान ने बुधवार को विराम लग ही दिया। आलाकमान ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है। पार्टी ने उन्हें गुजरात का प्रभारी बनाया है। गुजराज में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं। ऐसे में उनकी यह नियुक्ति काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वहीं अब यह भी माना जा रहा है कि अशोक गहलोत के राष्ट्रीय महासचिव बनने से राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट की राह आसान हो गई है। राजस्थान में कांग्रेस के प्रभावशाली नेताओं में अग्रणी माने जाने वाले अशोक गहलोत के पास सीएम पद से हटने के बाद कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं थी। चुनाव के बाद से ही उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं दी गई। जिससे वे पूरे समय राजस्थान में ही व्यस्त रहे। जबकि पिछली मर्तबा चुनाव हारने के तत्काल बाद उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बना दिया गया था। हाल ही यूपी और पंजाब विधानसभा चुनावों के दौरान उन्हें स्क्रीनिंग कमेटी के अध्यक्ष का प्रभार जरुर दिया। यूपी में उन्होंने प्रचार समन्वयक की जिम्मेदारी निभाई। गुजरात विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही अब उन्हें गुजरात के प्रभारी के तौर पर जिम्मेदारी दी है। जो काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
-वर्चस्व को लेकर चल रही थी जोर-आजमाईश
प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति पर नजर डाले तो पिछले कुछ दिनों से प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट व अशोक गहलोत के बीच वर्चस्व की लड़ाई देखी जा रही थी। धौलपुर में कांग्रेस की हार को लेकर गहलोत ने तीखा बयान दिया था कि धौलपुर में पार्टी अति उत्साह के कारण हारी। जबकि इससे पहले भी उनके बीच अनेक मर्तबा खींचतान देखने को मिली। ऐसे में गहलोत को केन्द्रीय राजनीति में लाने के पीछे एक यह भी वजह मानी जा रही है। राजस्थान में अगले वर्ष दिसंबर में चुनाव होने हैं। ऐसे में गहलोत यदि केन्द्रीय राजनीति में सक्रिय होते हैं तो पायलट के लिए यहां ज्यादा मुश्किलें नहीं आएंगी और वे प्रभावी रुप से अपने काम के बल पर जनता के बीच पकड़ बनाएंगे।
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